क्रिकेट हो फुटबाल हो
बैडमिंटन हो
या किसी और तरीके का खेल हो
साँस्कृतिक कार्यक्रमों की पेलम पेल हो
टीका हो या चंदन हो
नेता जी का अभिनन्दन हो
सभी जगह पर
'सर्वगुण संपन्न' की मोहर
माथे पर लगे हुओं को ही मौका दिया जाता है
माथे पर लगे हुओं को ही मौका दिया जाता है
आता है या नहीं आता है ये सोचा ही नहीं जाता है
ये मोहर भी
कोई विश्वासपात्र ही बना पाता है
कुछ खास जगहों पर
खास चेहरों के सिर पर ही
सेहरा बाँधा जाता है
सेहरा बाँधा जाता है
खासियत की परिभाषा में
जाति धर्म राजनीतिक कर्म तक
कहीं टांग नहीं अपनी अढ़ाता है
सामने वाला
कुछ कर पाता है या नहीं कर पाता है
ये सवाल तो
उसी समय गौंण हो जाता है
उसी समय गौंण हो जाता है
जिस समय से किसी को
बेवकूफों की श्रेणी में डालकर
सीलबंद हमेशा के लिये
करने का ठान लिया जाता है
यही सबको बताया भी जाता है
इसी बात को फैलाया भी जाता है
पूरी तरह से
मैदान से किसी का
मैदान से किसी का
डब्बा गोल करने का
जब सोच ही लिया जाता है
क्या करें
ये सब मजबूरी में ही किया जाता है
ये सब मजबूरी में ही किया जाता है
एक जवान होते हुऎ
शेर को देखकर ही तो
जंगल के सारे कमजोर कुत्तो से
एक हुआ जाता है
शेर को देखकर ही तो
जंगल के सारे कमजोर कुत्तो से
एक हुआ जाता है
बेवकूफ की
मोहर लगा वही शख्स
मोहर लगा वही शख्स
रक्तदान के कार्यक्रम की
जिम्मेदारी
जिम्मेदारी
जरूर पा जाता है
सबसे पहले अपना रक्त
देने से भी नहीं कतराता है
समझदारों में से एक
समझदार
समझदार
उसी रक्त का मूल्य
अपनी जेब में रखकर
कहीं पीछे के दरवाजे से
निकल जाता है
सफलता के ये सारे पाठों को
जो आत्मसात नहीं कर पाता है
भगवान भी उसके लिये
कुछ नहीं कर पाता है ।