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बुधवार, 24 जून 2015

क्या नहीं होता है होने के लिये यहाँ होता हुआ

क्या क्या
लिख
दिया जाये
क्या नहीं
लिखा जाये

बहुत कुछ
दौड़ता है
जिस समय

उलझता हुआ
रगों में खून के साथ
लाल रंग से अलग
तैरता हुआ
बिना घुले कुछ
कहीं अटकता हुआ

टकराता गिरता पड़ता
पकड़ने की कोशिश में
हाथ से ही खुद के
जैसे फिसलता हुआ

क्या क्या
दिखता है
सामने से
लिखने के लिये
नहीं होने वाला
जैसा होता हुआ

उठा कर
ले गया हो
जैसे कोई
किसी का दिल
बताकर
उसे रखने के लिये कहीं

दिखाने के लिये
रखा गया हो रास्ते में
यूँ ही कहीं
रखने के लिये ही
जैसे रखा हुआ

देखता हुआ
निकलता है
दिल वाला
अपने ही दिल
को देखते हुऐ
बस
बगल से उसके

आदमी
के दिल
या दिल
किसी औरत का
होने ना होने की
उधेड़बुन में

लिखने लिखाने
की कुछ
सोचता हुआ ।

चित्र साभार: www.pinterest.com