घूल हटे आँखों से
और कागज से भी
कोई कोशिश तो करे पलटने की
पन्ने को
यूँ ही कभी
कोहरा धूल नहीं होता है
पता होता है
जम भी जाता है चश्मा चश्मा
काँच एक से होते हैं सभी
उनको पता होता है
कोई रोज पढ़ लेता है उन्हें आकर
लिख कर नहीं जाता है
कुछ भी कभी
वो कभी नहीं जाते हैं
कुछ भी पढ़ने किसी गली मोहल्ले
इश्तिहार दीवार में लगे
कभी या अभी
कई दिन तक कुछ लिखो या ना लिखो
कुछ फर्क नहीं पड़ता है
पूछ लो लिखने वालों से कभी
आज लिख के रख जाओ धूप में
कुछ सूखने के लिये
बारिश आयेगी हटा लेना
उस समय तभी
लिखना एक रस्म है पढ़ना दूसरी
किस लिये लिखना पढना एक साथ
अच्छा है समझ लें सभी
‘उलूक’
फिर कुछ
लिखने आ गया आज
कुछ नहीं जैसा आदतन
बदलेगा भी नहीं कुछ कभी
बहुत कुछ पर
लिखने वाले सुना है
पूछे जा रहे हैं आजकल हर जगह
ताजा खबर आई है अभी
चित्र साभार: https://www.canstockphoto.com/
और कागज से भी
कोई कोशिश तो करे पलटने की
पन्ने को
यूँ ही कभी
कोहरा धूल नहीं होता है
पता होता है
जम भी जाता है चश्मा चश्मा
काँच एक से होते हैं सभी
उनको पता होता है
कोई रोज पढ़ लेता है उन्हें आकर
लिख कर नहीं जाता है
कुछ भी कभी
वो कभी नहीं जाते हैं
कुछ भी पढ़ने किसी गली मोहल्ले
इश्तिहार दीवार में लगे
कभी या अभी
कई दिन तक कुछ लिखो या ना लिखो
कुछ फर्क नहीं पड़ता है
पूछ लो लिखने वालों से कभी
आज लिख के रख जाओ धूप में
कुछ सूखने के लिये
बारिश आयेगी हटा लेना
उस समय तभी
लिखना एक रस्म है पढ़ना दूसरी
किस लिये लिखना पढना एक साथ
अच्छा है समझ लें सभी
‘उलूक’
फिर कुछ
लिखने आ गया आज
कुछ नहीं जैसा आदतन
बदलेगा भी नहीं कुछ कभी
बहुत कुछ पर
लिखने वाले सुना है
पूछे जा रहे हैं आजकल हर जगह
ताजा खबर आई है अभी
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