कहाँ लिखा
जाता है
उस सब में से
थोड़ा सा
भी कुछ
जो हिलोरें
मार रहा
होता है
भावों की
उमड़ती
उन नदियों
के साथ
जो भावों के
समुद्र में
मिलते हुऐ भी
शांत होती हैं
लहरें उठती
जरूर हैं
पर तबाही
नहीं कहीं
होती है
जहाँ जिस
किसी के पास
सुकून होता है
लहरों के
लहरों से
मिलने का
मौका
बहुत भाव
पूर्ण होता है
सूखे हुऐ
नैनो में भी
कहीं किसी
कोने में
नमी होना
जैसा
महसूस होता है
मतलब साफ
कि रोना
होता है लेकिन
रोना शोक
का नहीं
चैन का होता है
रोना उसे
भी होता है
जिसके नैनों
में बस
पानी और
पानी होता है
नदियों का
समुद्र से
मिलन
भयानक
होता है
लहरें भी
होती हैं
तबाही भी
होती है
रोने रोने
का अंतर
बहुत ही
सूक्ष्म होता है
लिखने
लिखने का
अंतर भी
इतना ही
होता है
सब कुछ
साफ साफ
कभी नहीं
लिख पाता है
एक लिखने वाला
इधर का
छोड़ कर
उधर के
ऊपर ही
लिख लेने से
पूरा नहीं तो
अधूरा ही सही
बैचेनी को
चैन महसूस
होता है
रोज की बात
अलग होती है
बरसों में कभी
सावन हँस
नहीं बस
रो रहा होता है
'उलूक'
को कोई
सुने ना सुने
आदतन अपनी
कुछ ना कुछ
कह ही
रहा होता है ।
जाता है
उस सब में से
थोड़ा सा
भी कुछ
जो हिलोरें
मार रहा
होता है
भावों की
उमड़ती
उन नदियों
के साथ
जो भावों के
समुद्र में
मिलते हुऐ भी
शांत होती हैं
लहरें उठती
जरूर हैं
पर तबाही
नहीं कहीं
होती है
जहाँ जिस
किसी के पास
सुकून होता है
लहरों के
लहरों से
मिलने का
मौका
बहुत भाव
पूर्ण होता है
सूखे हुऐ
नैनो में भी
कहीं किसी
कोने में
नमी होना
जैसा
महसूस होता है
मतलब साफ
कि रोना
होता है लेकिन
रोना शोक
का नहीं
चैन का होता है
रोना उसे
भी होता है
जिसके नैनों
में बस
पानी और
पानी होता है
नदियों का
समुद्र से
मिलन
भयानक
होता है
लहरें भी
होती हैं
तबाही भी
होती है
रोने रोने
का अंतर
बहुत ही
सूक्ष्म होता है
लिखने
लिखने का
अंतर भी
इतना ही
होता है
सब कुछ
साफ साफ
कभी नहीं
लिख पाता है
एक लिखने वाला
इधर का
छोड़ कर
उधर के
ऊपर ही
लिख लेने से
पूरा नहीं तो
अधूरा ही सही
बैचेनी को
चैन महसूस
होता है
रोज की बात
अलग होती है
बरसों में कभी
सावन हँस
नहीं बस
रो रहा होता है
'उलूक'
को कोई
सुने ना सुने
आदतन अपनी
कुछ ना कुछ
कह ही
रहा होता है ।