हिदायतें
दे रहें हैं
चिकित्सक
बहुत सारे
मुफ्त में ही
बेहिसाब
और दिन
का लिखना
अलग बात है
बहुत जरूरी है
लिखनी आज
मन की बात
उधर वो बात
दिमागी सेहत
की बता रहे हैं
खाने पीने को
ठीक रखना है
समझा रहे हैं
अकेलेपन से
निपटना है
भीड़ में
घर की ही सही
हिल मिल कर
कुछ इस तरह
से रहना है
बच्चों को भी
देखना है
बुजुर्गों को भी
थोड़ा बहुत
कुछ कहना है
व्यायाम
करना है
नकारात्मक
विचारों को
दिमाग में
नहीं भरना है
आत्मविश्वास
बनाये रखना है
पागल नहीं
हो रहे हैं
सोच कर
मन को
धैर्य दिलाये
रखना है
सोचिये
एक ही
दिन में
कितना
सारा
क्या क्या
करवाने
वो जा रहे हैं
इधर
नासमझ
लोग हैं
ये बात
वो कहाँ
समझ
पा रहे हैं
इतनी सी
छोटी बातों
को समझने
में ही आधी
जिन्दगी काट
कर यहाँ तक
चले आ रहे हैं
मानसिक रोग
को एक अकेला
नहीं समझ
पा रहा है
भीड़ की
हरकतें
देख कर
सामने खड़े
सभी लोगों
को पागल
बता रहा है
रोज
देखता है
सुनता है
कर रही
होती है
भीड़ कुछ
पागलपन
लाचार दूर से
देखता तमाशा
महसूस कर
रहा होता है
कुछ नहीं
कर पा रहा है
बरसों से यही
सब देखता सुनता
समझता रहता है
पागलों के पागलपन
को लिखता जा रहा है
देखने आ
रही है भीड़
लिखे लिखाये को
एक पागल
लिख रहा है
पागलपन अपना
इधर
से लेकर
उधर तक
भीड़ में
बताया जा
रहा है
इलाज
किसका
होना चाहिये
आज के
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस के दिन
‘उलूक’
बस यही बात
आज भी नहीं
समझ पा रहा है
इस
सब के
बावजूद
लेकिन
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस
के संदेश
को लेकर
फिर भी
दो शब्द
लम्बे लम्बे
कर करा कर
यहाँ कुछ
आदतन लिख
कर जा रहा है ।
चित्र साभार: Mental Health Concern
दे रहें हैं
चिकित्सक
बहुत सारे
मुफ्त में ही
बेहिसाब
और दिन
का लिखना
अलग बात है
बहुत जरूरी है
लिखनी आज
मन की बात
उधर वो बात
दिमागी सेहत
की बता रहे हैं
खाने पीने को
ठीक रखना है
समझा रहे हैं
अकेलेपन से
निपटना है
भीड़ में
घर की ही सही
हिल मिल कर
कुछ इस तरह
से रहना है
बच्चों को भी
देखना है
बुजुर्गों को भी
थोड़ा बहुत
कुछ कहना है
व्यायाम
करना है
नकारात्मक
विचारों को
दिमाग में
नहीं भरना है
आत्मविश्वास
बनाये रखना है
पागल नहीं
हो रहे हैं
सोच कर
मन को
धैर्य दिलाये
रखना है
सोचिये
एक ही
दिन में
कितना
सारा
क्या क्या
करवाने
वो जा रहे हैं
इधर
नासमझ
लोग हैं
ये बात
वो कहाँ
समझ
पा रहे हैं
इतनी सी
छोटी बातों
को समझने
में ही आधी
जिन्दगी काट
कर यहाँ तक
चले आ रहे हैं
मानसिक रोग
को एक अकेला
नहीं समझ
पा रहा है
भीड़ की
हरकतें
देख कर
सामने खड़े
सभी लोगों
को पागल
बता रहा है
रोज
देखता है
सुनता है
कर रही
होती है
भीड़ कुछ
पागलपन
लाचार दूर से
देखता तमाशा
महसूस कर
रहा होता है
कुछ नहीं
कर पा रहा है
बरसों से यही
सब देखता सुनता
समझता रहता है
पागलों के पागलपन
को लिखता जा रहा है
देखने आ
रही है भीड़
लिखे लिखाये को
एक पागल
लिख रहा है
पागलपन अपना
इधर
से लेकर
उधर तक
भीड़ में
बताया जा
रहा है
इलाज
किसका
होना चाहिये
आज के
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस के दिन
‘उलूक’
बस यही बात
आज भी नहीं
समझ पा रहा है
इस
सब के
बावजूद
लेकिन
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस
के संदेश
को लेकर
फिर भी
दो शब्द
लम्बे लम्बे
कर करा कर
यहाँ कुछ
आदतन लिख
कर जा रहा है ।
चित्र साभार: Mental Health Concern