उलूक टाइम्स

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

श्रद्धांजलि

ना शोहरत ले गया
ना दाम ले गया
काम ही किया बस
ताजिंदगी छक कर
उसे भी कहां वो
बेलगाम ले गया
जीवट में सानी
कहां था कोई उसका
सब कुछ तो दे कर
कहां कुछ ले गया
जिंदादिली से भरकर
छलकाता रहा
वो कल तक
गीतों में भरकर
वोही सारी दौलत
नहीं ले गया वो
सरे आम दे गया
आनन्द देकर
देवों के धर को
वो बिल्कुल अकेला
चलते चला वो
चला ही गया
वो चला ही गया।