उलूक टाइम्स

रविवार, 8 जनवरी 2012

ठंड और विचार

ठंड से
जम 
गये
विचार आज

मौन हो गये

आकाश
में बादल

सामने
पहाडियों

पर बर्फबारी

कम तापमान

रजाई के अंदर
दिन भर
उछल कूद


फिर भी
गरमी की

हो रही है आज
विचारों को जरुरत

बेचारे
विचार भी

जानते हैं
कुछ 
अचार
की तरह

सब लोग छांट
लेते हैं उन्हें
अपनी सुविधा
अनुसार हमेशा

ज्यादातर होता

आया है यहां
बना के पेश
कर दी जाये
व्यंग रूपी
अगर खीर

लोग उसका

भी रूपांतरण
कर फेंकते हैं
तीखा तीर

ठंड में

रहने दिये
जाये विचार
कुछ देर

अचार भी

बनता है पक्का

कुछ 
समय छोड़
दिया जाये
अगर यूं ही
मर्तबान में ।