उलूक टाइम्स

सोमवार, 30 जनवरी 2012

चुनाव पूर्व संध्या

एक बार फिर

कल
चांद सितारों
की तमन्ना बोने

देखें
कितने लोग
अपने कोटरों से
निकल कर आते हैं

अपने अपने
घोड़ो पर
दांव लगाने
कहाँ कहाँ से
कूद फांद
लगाते हैं

लम्बी
दौड़ का
एक घोड़ा
कोई चलेगा
खच्चर से
भी बनाने

कोई
तगड़े घोड़े
को पीछे भी
खिसकायेगा

अपने अपने
घोड़ों की
इस रेस में

इस
बार दुवा
करियेगा

असली
दौड़ का घोड़ा
घोड़ों से ही
ना उलझ पायेगा

मेरे देश
को चाहिये
जो दिशा

उसे
देने के लिये
वो ही
सबसे आघे
निकल जायेगा

बरसों से
बोती
आ रही है

जो
चांद और सितारे
इस धरती की
अबोध संताने

घोड़ा
अपने लिये ही

केवल
नहीं जुटायेगा

चांद सितारे
तोड़ कर
ना भी ला पाये

कोई बात नहीं
उनकी रोशनी
ही काफी होगी

उससे एक
मुस्कान हर
चेहरे पर देने

पाँच 

सालों मे
कम से कम
कुछ बार
जरूर
आ जायेगा।