उलूक टाइम्स

गुरुवार, 22 मार्च 2012

चेहरे


चेहरे दर चेहरे
कुछ
लाल होते हैं
कुछ होते हैं
हरे

कुछ
बदलते हैं 
मौसम के साथ

बारिश में 
होते हैं
गीले
धूप में हो 
जाते हैं
पीले

चेहरे चेहरे 
देखते हैं

छिपते हुवे
चेहरे
पिटते हुवे
चेहरे

चेहरों
को कोई 
फर्क पढ़ना 
मुझे नजर 
नहीं आता है

मेरा चेहरा 
वैसे भी 
चेहरों को 
नहीं भाता है

चेहरा शीशा 
हो जाता है 

चेहरा
चेहरे को 
देखता तो है
चेहरे में चेहरा 
दिखाई दे जाता है

चेहरे
को चेहरा 
नजर नहीं आता है
चेहरा अपना 
चेहरा देख कर
ही
मुस्कुराता है 
खुश हो जाता है

सबके 
अपने अपने 
चेहरे हो जाते हैं

चेहरे
किसी के
चेहरे को 
देखना कहाँ 
चाहते हैं

चेहरे बदल 
रहे हैं रंग 
किसी 
को दिखाई 
नहीं देते हैं

चेहरे
चेहरे को 
देखते जा रहे हैं
चेहरे अपनी 
घुटन मिटा रहे हैं

चेहरे
चेहरे को 
नहीं देख पा रहे हैं
चेहरे पकड़े 
नहीं जा रहे हैं
चेहरे चेहरे 
को
भुना रहे हैं

चेहरे दर चेहरे
कुछ
लाल होते हैं
कुछ होते हैं
हरे

कुछ
बदलते हैं 
मौसम के साथ

बारिश में 
होते हैं गीले
धूप में हो 
जाते हैं पीले।