कुछ शब्द
कभी भी
खराब गन्दे
अजीब से
या
गालियाँ
नहीं होते हैं
पढ़े लिखे
विद्वतजन
अनपढ़
अज्ञानी
सभी समझते हैंं
अर्थ उनके
करते हैं प्रयोग
बनाते हैं वाक्य
पर्दे में नहीं
रखे जाते हैं
इतने बेशर्म
भी
नहीं होते हैं
ना सफेद
ना काली
ना हरी
ना लाल
मिर्च ही
होते हैं
एक ही दिन के
एक प्रहर में ही
एक ही नहीं
कई कई बार
प्रयोग होते हैं
ज्यादातर
कोई ध्यान
नहीं देता है
कहते कहते
बात में बेबात में
ऐसे वैसे या कैसे
किससे क्यों
और
किसलिये
कहे गये
होते हैं
कभी
शब्दों के
आगे के
कभी
शब्दों के
पीछे के
शब्द होते हैं
एक वचन होंं
स्त्रीलिंग होंं
बहुत ज्यादा
नरम होते हैं
बहुवचन और
पुल्लिंग होते
ही लगता है
जैसे कभी
अचानक ही
बहुत गरम
हो रहे होते हैं
दिन
अच्छा कहो
अच्छा दिन कहो
पत्ते हरे हों
या सूखे कहो
कहीं के भी
कभी भी
हिलते हुऐ
जरा सा भी
महसूस
नहीं होते हैं
‘उलूक’
बेवकूफ के
भेजे में भरे
गोबर में
उठते भवरों से
कुछ अजीब
से प्रश्न जरूर
उसे उठते हुऐ
दिख रहे होते हैं
जब शब्द
दिन के पीछे
शब्द अच्छे
और शब्द
अच्छे के आगे
शब्द दिन
किसी भी
संदर्भ में कहे गये
करा रहे होते हैं
आभास
कहीं कुछ जलने का
और
सामने सामने
के ही कुछ
कुछ लाल
और
कुछ पीले
हो रहे होते हैं ।
चित्र साभार: www.indif.com
कभी भी
खराब गन्दे
अजीब से
या
गालियाँ
नहीं होते हैं
पढ़े लिखे
विद्वतजन
अनपढ़
अज्ञानी
सभी समझते हैंं
अर्थ उनके
करते हैं प्रयोग
बनाते हैं वाक्य
पर्दे में नहीं
रखे जाते हैं
इतने बेशर्म
भी
नहीं होते हैं
ना सफेद
ना काली
ना हरी
ना लाल
मिर्च ही
होते हैं
एक ही दिन के
एक प्रहर में ही
एक ही नहीं
कई कई बार
प्रयोग होते हैं
ज्यादातर
कोई ध्यान
नहीं देता है
कहते कहते
बात में बेबात में
ऐसे वैसे या कैसे
किससे क्यों
और
किसलिये
कहे गये
होते हैं
कभी
शब्दों के
आगे के
कभी
शब्दों के
पीछे के
शब्द होते हैं
एक वचन होंं
स्त्रीलिंग होंं
बहुत ज्यादा
नरम होते हैं
बहुवचन और
पुल्लिंग होते
ही लगता है
जैसे कभी
अचानक ही
बहुत गरम
हो रहे होते हैं
दिन
अच्छा कहो
अच्छा दिन कहो
पत्ते हरे हों
या सूखे कहो
कहीं के भी
कभी भी
हिलते हुऐ
जरा सा भी
महसूस
नहीं होते हैं
‘उलूक’
बेवकूफ के
भेजे में भरे
गोबर में
उठते भवरों से
कुछ अजीब
से प्रश्न जरूर
उसे उठते हुऐ
दिख रहे होते हैं
जब शब्द
दिन के पीछे
शब्द अच्छे
और शब्द
अच्छे के आगे
शब्द दिन
किसी भी
संदर्भ में कहे गये
करा रहे होते हैं
आभास
कहीं कुछ जलने का
और
सामने सामने
के ही कुछ
कुछ लाल
और
कुछ पीले
हो रहे होते हैं ।
चित्र साभार: www.indif.com