उलूक टाइम्स

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

कुछ

कभी कुछ
व्यक्त नहीं
करने वाली
भीड़ में से

कुछ लोग
अपने आप
कुछ हो
जाते हैं

बाकी कुछ को
समाचार पत्र के
माध्यम से बताते हैं
वो कुछ हो गये हैं

नहीं बोलने
वाले कुछ लोगों
को कोई फर्क
नहीं पड़ता है
अगर कोई
अपने आप कुछ
हो जाता है
और बताता है

जो कुछ
हो जाते हैं
वो भी कभी
कुछ नहीं
बोलते हैं

बस कुछ कुछ
करते चले जाते हैं
कुछ भी किसी को
कभी नहीं बताते हैं

ऎसे ही कुछ कुछ
होता चला जाता है

ऎसे ही यहाँ के कुछ
वहाँ के कुछ लोगों
से मिल जाते हैं

बीच बीच में
कुछ कुछ
करने कहीं कहीं
को चले जाते हैं

ये सब भारत देश
के छोटे लोकतंत्र
कहलाते हैं

कुछ भी हो कुछ
करना इतना भी
आसान नहीं होता है

कुछ कर लिया
जिसने यहां
उससे बड़ा
भगवान ही
नहीं होता है।