उलूक टाइम्स

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

'ए' लो चाहे 'यू' लेलो

जल्दी बहुत वो
ऎसा कानून
लेकर आयेगी
कोई भी बात
अब खुले आम
नहीं कही जायेगी
एक एक को देखना
मनमोहन कृष्ण
बना ले जायेगी
कैसी भी बात हो
खुले आम बिल्कुल
नहीं कही जायेगी
कहने लायक है
या नहीं है
एक कमेटी बतायेगी
हर काम के
अलग अलग सेंसर
बोर्ड बनायेगी
बात पहले तराजू में
तुलवाई जायेगी
हल्की और भारी
अलग अलग
बताई जायेगी
कोई 'ए' तो कोई 'यू'
श्रेंणी में रखी जायेगी
उसी हिसाब का
प्रमाणपत्र पायेगी
श्रीमति जी को
लिखी चिट्ठी भी
पहले उनको खोल
कर दिखलाई जायेगी
प्रियतम लिखें
प्रिय लिखें
या ऎ जी लिखें
सरकारी कमेटी
ये सब बतायेगी
जनता आदतों को
बदल अगर नहीं पायेगी
इन्सान की तरह
अगर रह जायेगी
पूँछ हिलाना नहीं
कुछ सीख पायेगी
कमेटी के सामने
एक बुलवाई जायेगी
पूँछ कटी हुई एक
हाथ में दे दी जायेगी
कहने में साफ बात
हमको भी शर्म आयेगी
लेकिन फिर भी
इशारों में बताई जायेगी
एक पूँछ वाला जीव
बना दी जायेगी
अपने माथे पर 'यू'
चिपका हुआ पायेगी ।