उलूक टाइम्स: लोकतंत्र के घरों से

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

लोकतंत्र के घरों से



एक
बड़े से देश के छोटे छोटे लोकतंत्रों में
आंख बंद और मुह बंद करना
सीख

वरना भुगत

अरे
हम अगर कुछ खा रहे हैं 
तो देश का लोकतंत्र भी तो 
बचा रहे हैं

देख नहीं रहा है
कितनी बड़ी बीमारी है
एक बड़े लोकतंत्र के
सफाई अभियान की बड़ी सी
तैयारी है

सारी आँखे
लगी हुवी है भोर ही से बाबाओं की ओर

बता 
अगर हम ही नहीं जाते
जलूस में टोपियां नहीं दिखाते
तो तुम्हारे बाबा जी क्या कुछ कर पाते

सीख कुछ तो सीख
घर की बात घर में रख
बाहर जा अपने को परख

अरे बेवकूफ
खा भी ले थोड़ी सी घूस
कुछ नहीं जायेगा
थोड़ा जमा करना
थोड़ा बाबा को देना छोटा पाप कटा लेना

बड़े पुण्य से एक बड़े लोकतंत्र को बचा
छोटा लोकतंत्र
अगर डूब भी जायेगा तेरा क्या जायेगा

सोच
बड़ा अगर
भूल से गया डूब छोटा क्या कहीं रह पायेगा

और तू कल
किसको फिर मुंह दिखायेगा ?

चित्र साभार : https://www.facebook.com/BabaLokTantra/

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-11-2014) को "भोर चहकी..." (चर्चा-1813) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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