उलूक टाइम्स

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

हुई कुछ हलचल मेरे शहर में

भारत में जन्मा
एक गोरा अंग्रेज
आज मेरे शहर
में आकर हमें
फिर आईना
दिखा गया
कुछ चटपटी
कुछ अटपटी
सी हिन्दी लेकिन
बस वो हिन्दी में ही
बोलता चला गया
इशारों इशारों में
उजागर किया
उसने कई बार
अपने देशप्रेम को
अंग्रेजों की दी
वसीयत से अब तो
मोह भंग कर जाओ
भारत और
भारतीयता
की उँचाइयाँ
कितनी हैं
गहरी अब तो
कुछ समझ में
अपनी ले आओ
भारतीय संस्कृति
में ही है ऎसा कुछ
जिससे ऎसा
वैसा रास्ता
उससे ना ही
कभी चुना गया
चीन देखो सामने
सामने कत्लोआम पर
गुजर कर तरक्की
कितनी पा गया
सरकार न्यायपालिका
नौकरशाह अगर
कर भी रहे हैं
दखलंदाजी एक
दूसरे के काम में
ऎ आदमी भारत के
तेरा ही तो
इस सब में
सब कुछ तूने
खुद ही तो
हमेशा से
है बहा दिया
उठ खडे़ हो
गौर कर सोच कुछ
मौके बहुत हैं
मुकाम पर देश
देखना ये गया
और वो गया
गाँधी और उसकी
गीता कौन
अब है देखता
वो फिर एक बार
उसकी याद हमको
अपनी बातों में
दिला गया
बहुत कुछ दिखा
उस शख्स में
अच्छा हुआ
ना जाते जाते मैं
उसको सुनने के
लिये चला गया
‘मार्क टली’
दिल से आभारी
हूँ तेरा आज मैं
मेरे सोते हुऎ
शहर को आज
तू कुछ थोड़ा सा
जो हिला गया ।