उलूक टाइम्स

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

सकारात्मक और नकारात्मक हवा को देखने के नजरिये से पता चल जाता है


कभी लगता है आता है 
कभी लगता है नहीं आता है 

जब बहुत ज्यादा भ्रम होना शुरु हो जाता है 
सोचा ही जाता है 
पूछ ही लेना चाहिये पूछने में किसी का क्या जाता है 

ऐसा सोच कर
जब जमूरा उस्ताद के धौरे पहुँच जाता है 
तो उस्ताद भी मुस्कुराते हुऐ बताता है 

बहुत आसान सा प्रश्न है जमूरे 

देख अपने ही सामने से
एक खाली जगह को देखते देखते 

सारी जिंदगी एक आदमी
सोच सोच कर 
कुछ बन रहा है कुछ बन रहा है 
देखते सोचते
गुजर भी जाता है 

उसके मरने के बाद
उसका जैसा ही दूसरा
इसी बनने की बात को
आगे बढ़ाता है 

बन रहा है की जगह
पक्का बन रहा है
फैलाना शुरु हो जाता है 

सकारात्मक कहा जाता है 

ऐसे ही
सकारात्मक लोगों में से ही 
सबसे सकारात्मक को 
बन रहा है कहने को
आगे बढ़ाने का
ठेका भी दिया जाता है 

नकारात्मक
खाली खाली 
रोज खाली जगह को देखने
खाली चला आता है 

देखता है सोचता है 
खाली है खाली है कहते कहते
खाली बेकार में आता है
और
खाली चला जाता है 

ऐसे खाली लोगों को 
खाली ही रहने दिया जाता है 

‘उलूक’ 
उसी खाली जमीन को देखते देखते ऊँघता हुआ
पेड़ की किसी डाल पर 
पंजे से अपने कान खुजलाता है ।

चित्र साभार: www.123rf.com