कभी लगता है आता है
कभी लगता है नहीं आता है
जब बहुत ज्यादा भ्रम होना शुरु हो जाता है
सोचा ही जाता है
पूछ ही लेना चाहिये पूछने में किसी का क्या जाता है
ऐसा सोच कर
जब जमूरा उस्ताद के धौरे पहुँच जाता है
तो उस्ताद भी मुस्कुराते हुऐ बताता है
बहुत आसान सा प्रश्न है जमूरे
देख अपने ही सामने से
एक खाली जगह को देखते देखते
सारी जिंदगी एक आदमी
सोच सोच कर
कुछ बन रहा है कुछ बन रहा है
देखते सोचते
गुजर भी जाता है
गुजर भी जाता है
उसके मरने के बाद
उसका जैसा ही दूसरा
इसी बनने की बात को
आगे बढ़ाता है
बन रहा है की जगह
पक्का बन रहा है
फैलाना शुरु हो जाता है
सकारात्मक कहा जाता है
ऐसे ही
सकारात्मक लोगों में से ही
सबसे सकारात्मक को
बन रहा है कहने को
आगे बढ़ाने का
ठेका भी दिया जाता है
आगे बढ़ाने का
ठेका भी दिया जाता है
नकारात्मक
खाली खाली
रोज खाली जगह को देखने
खाली चला आता है
खाली चला आता है
देखता है सोचता है
खाली है खाली है कहते कहते
खाली बेकार में आता है
और
खाली चला जाता है
और
खाली चला जाता है
ऐसे खाली लोगों को
खाली ही रहने दिया जाता है
‘उलूक’
उसी खाली जमीन को देखते देखते ऊँघता हुआ
पेड़ की किसी डाल पर
पेड़ की किसी डाल पर
पंजे से अपने कान खुजलाता है ।
चित्र साभार: www.123rf.com