उलूक टाइम्स

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

देश प्रेम देश भक्ति और देश

विश्वविद्यालय
देश के
कहाँ होते हैं
विश्व के होते हैं

सिखाये
हुऐ के
हिसाब
से होते हैं

देशप्रेम
छोड़िये
बड़े प्रेम
विश्वप्रेम
पर चल
रहे होते हैं

पर कन्फ्यूजन
भी होते हैं
और
अपनी जगह
पर होते है

चाँसलर
वाईस चाँसलर
प्रोफेसर
देश के ही
बराबर के
ही होते हैं

कभी
लगता है
देश से
भी शायद
कुछ और
बड़े होते हैं

छात्र छात्राएं
अभिभावक
दलों के
हिसाब से
अलग अलग
होते हैं

नारे लगते
समय नहीं
दिखते हैं

जरूरत भी
नहीं होती है
और
वैसे भी
पता कहाँ
किसी को
होते हैं

कोई नहीं
पूछता है
हिसाब किताब
किताबों कापियों
की दुकानों का

स्कूल कालेज
और पढ़ाई
सब
अलग अलग
विषय होते हैं

हिन्दू
मुसलमान
शहर गाँव
इलाका विशेष
ठाकुर बनिया
बामन
कुत्ता बिल्ली
के काम्बिनेशन
अलग अलग
होते हैं

कहाँ किस
का प्रयोग
करना है
वही लोग
जानते हैं
जिनके
हिसाब किताब
के बही खाते
एक जैसे ही
और कुछ
अलग होते हैं

प्रयोग
जातियों पर
जितने
विश्वविद्यालयों
में होते हैं
और कहीं भी
नहीं दिखते हैं
ना ही कहीं होते हैं

कुत्ता
फालतू मे
गाली
खाता है
हमेशा ही
लेकिन वो
सही में कुछ
इस तरीके के ही
गली के कुत्ते होते हैं

नारे उगते हैं
पता नहीं
कहाँ किस
खेत में
बस दिखते हैं
उगते हुऐ
देश द्रोही
के नाम पर
सारों में
से कुछ
छोड़ कर
सारे के सारे
अन्दर हो
रहे होते हैं

जय हो देश की
देश प्रेमियों की

उनके पैजामों
के अन्दर
की हवा में
उनके उगाये
मटर हरे हरे
हो रहे होते हैं

देश का
खून पीने
के लिये
लगाये गये
नलों से
टपकने वाले
खून के चर्चे
कहीं भी नहीं
हो रहे होते हैं

पाले हुऐ
सरकार के
सरकारी लोगों के
काम देख कर भी
अनदेखे हो रहे होते हैं

जो नियम
से करते है
नियम को
देखसुन कर
नियम के
हिसाब से

ऐसे सारे
के सारे
देशद्रोही
देश के
कोने कोने मे
रो रहे होते हैं

माफ करियेगा
'उलूक'
जानता है
तेरे शहर में
तेरे मोहल्ले में
तेरे घर में
इस तरह
के जलवे
हो भी
और
नहीं भी
हो रहे होते हैं

लिखने दे
बबाल ना कर
मत बता
मुझे मेरे हाल
मुझे पता है
तेरे जैसे
ना हो
सकते हैं
ना होंगे
ना हो
रहे होते हैं ।

चित्र साभार: www.gograph.com