एक पुड़िया सफेद पाउडर मिला है
उस
जगह पर जहाँ चॉक ही चॉक
पायी जाती रही है हमेशा से डिब्बा बन्द
अलग बात है
कहीं जरा
सा भी नहीं घिसी रखी है इतिहास बनाने के लिये भी
हम सब
उसी को घिसने की रोटियां तोड़ते
रहें हैं सालो साल
और कुछ
इसी की सफेदी को बिना छुवे हो लिये हैं बेमिसाल
खरीदे हैं
जिन्होंने कई सम्मान अपने नाम से
अखबार साक्षी रहे हैं
अपनी नाकामियां लिखना आसान नहीं
है
अखबार वाले के किये गये प्रश्न के उत्तर दिये गये हैं
किस तरह तराशे हुऐ निकलें
कल सुबह
तक कुछ कहना ठीक नहीं है
और वैसे भी जो छपा आ जाता है
उसके बाद कहाँ कुछ किया जाता है
बहुत
कुछ होता है आसपास कुछ अजीब सा हमेशा ही
अब हर बात कहाँ किसी अखबार तक पहुँचती है
और जो पहुँचाई जाती है कुछ दस्तखतों के साथ
उसकी तसदीक करने कभी कोई आता भी नहीं है
हमाम
के अन्दर के कपड़े के बारे में पूछे गये प्रश्न
नाजायज हैं कह कर
खुद अपनी तस्वीर अपने
ही आइने की
किसी को भी दिखा लेने की
आदत कभी बनी भी नहीं है
‘उलूक’
चिड़िया कपड़े ना पहना करती है
ना उसे आदत होती है बात करने की नंगई की
उसकी
जरूरत भी नहीं होती है
हम सब कर लेते हैं खास कर बातें कपड़ों की
और ढकी हुई उन सारी
लाशों की
जिनकी खुश्बू पर कोई प्रश्न नहीं उठता है
आज के समाज में
लाशें जिंदा रहना
बहुत जरूरी हैं
मरे हुऐ लोगों के जिन्दा समाचारों के लिये हमेशा ।
चित्र साभार: https://twitter.com/aajtak