उलूक टाइम्स

रविवार, 27 नवंबर 2016

पूछने में लगा है जमाना वही सब जिसे अच्छी तरह से सबने समझ लिया है

अपना ही
शहर है
अपना ही
मोहल्ला है
अपने ही
लोग हैं 
अपनी ही
गलियाँ हैं

दिमाग
लगाने की
जरूरत
भी नहीं है
हर किसी
के पास
ऊपर
कहीं से
भेजी गई
कुछ जमा
प्रश्नावलियाँ हैंं

सब ही
देख
रहें हैं
सब कुछ
सब ही
समझ
रहे हैं
सब कुछ
सब ही
पूछ रहें
हैं सभी
से प्रश्न

समझने
के लिये
कहीं
सामने
वाले ने
भी
सब कुछ
अच्छी तरह
से तो
नहीं समझ
लिया है

किसी
के पास
खुद से
पूछे गये
सालों साल
जमा
की गई
सवालों की
लड़ियाँ हैं

कुछ
पहेलियों
को
समझने
सुलझाने
के लिये
जोड़ तोड़
कर
एकत्रित
की गई
कड़ियाँ हैं

खुद
का ही
खुद ही
लिये गये
इम्तिहान
में प्रयोग
की गई
सफेद
श्यामपट
की काली
खड़ियाँ हैं

किसलिये
कोशिश
करते हो
समझने
की समय
को इन
सब से
जिनके पास
समय से
पहले ही
चुक चुकी
घड़ियाँ हैं

उलूक के
लिखने
लिखाने को
पढ़ता भी है
कहता भी है
नहीं समझ
में आता है
जरा सा भी
इसमें से
पर
जो भी
लिखा है
भाई बहुत
ही बढ़िया है।

चित्र साभार:
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