पुराने
जमाने
की सोच
से निकल
बहुत
हो गया
थोड़ा सा
कुछ सम्भल
खाली सफेद
पन्नों को
पलटना छोड़
हवा में
ऊँचा उछल
कर कुछ गोड़
जमीन पर
जो जो
होना था
वो कबका
हो चुका
बहुत हो चुका
चुक गये
करने वाले
करते करते
दिखा कर
खाया पिया
रूखा सूखा
ऊपर की
ओर अब
नजर कर
ऊपर की
ओर देख
नीचे जमीन
के अन्दर
बहुत कुछ
होना है बाकि
ऊपर के बाद
समय मिले
थोड़ा कुछ
तो नीचे
भी फेंक
किसी ने नहीं
देखना है
किसी ने नहीं
सुनना है
किसी ने नहीं
बताना है
अपना
माहौल
खुद अपने
आप ही
बनाना है
सामने की
आँखों से
देखना छोड़
सिर के पीछे
दो चार
अपने लिये
नयी आँखें फोड़
देख खुद को
खुद के लिये
खुद ही
सुना
जमाने को
ऊँचाइयाँ
अपने अन्दर
के बहुत उँचे
सफेद
संगमरमरी
बुत की
आज मिली
खबर का
‘उलूक’
कर कुछ
खयाल
जेब में
रखना छोड़
दे आज से
अपना रुमाल
सौ फीट
का डंडा
रख साथ में
और कर
कमाल
लहरा सोच
को हवा में
कहीं दूर
बहुत दूर
बहुत ऊँचे
खींचता
चल डोर
दूर की
सोच की
बैठ कर
उसी डन्डे
के नीचे
अपनी
आँखें मींचे ।
चित्र साभार: http://www.nationalflag.co.za
जमाने
की सोच
से निकल
बहुत
हो गया
थोड़ा सा
कुछ सम्भल
खाली सफेद
पन्नों को
पलटना छोड़
हवा में
ऊँचा उछल
कर कुछ गोड़
जमीन पर
जो जो
होना था
वो कबका
हो चुका
बहुत हो चुका
चुक गये
करने वाले
करते करते
दिखा कर
खाया पिया
रूखा सूखा
ऊपर की
ओर अब
नजर कर
ऊपर की
ओर देख
नीचे जमीन
के अन्दर
बहुत कुछ
होना है बाकि
ऊपर के बाद
समय मिले
थोड़ा कुछ
तो नीचे
भी फेंक
किसी ने नहीं
देखना है
किसी ने नहीं
सुनना है
किसी ने नहीं
बताना है
अपना
माहौल
खुद अपने
आप ही
बनाना है
सामने की
आँखों से
देखना छोड़
सिर के पीछे
दो चार
अपने लिये
नयी आँखें फोड़
देख खुद को
खुद के लिये
खुद ही
सुना
जमाने को
ऊँचाइयाँ
अपने अन्दर
के बहुत उँचे
सफेद
संगमरमरी
बुत की
आज मिली
खबर का
‘उलूक’
कर कुछ
खयाल
जेब में
रखना छोड़
दे आज से
अपना रुमाल
सौ फीट
का डंडा
रख साथ में
और कर
कमाल
लहरा सोच
को हवा में
कहीं दूर
बहुत दूर
बहुत ऊँचे
खींचता
चल डोर
दूर की
सोच की
बैठ कर
उसी डन्डे
के नीचे
अपनी
आँखें मींचे ।
चित्र साभार: http://www.nationalflag.co.za