उलूक टाइम्स

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

‘उलूक’ साफ करना है बहुत सारा इतिहास है


ना खुश है ना उदास है 
थोड़ी सी बची हुयी है
है कुछ आस है 

बहुत कुछ लिखना है 
कागज है कलम की है इफरात है 

ना नींद है ना सपने हैं 
शाम से जरा सा पहले की है बात है 

बन्द है बोतल है खाली है गिलास है
अंधेरा है अमावस की है रात है 

ना पढ़ना है ना पढ़ाना है 
किताबों के नीचे दबी है खुद की है किताब है 

श्याम पट काला है सफेद है चॉक है 
खाली है कक्षा है बस थोड़ी सी उदास है 

ना समझना है ना समझाना है 
नयी तकनीक है आज है सब की है बॉस है 

गुरु घंटाल हैं जितने मालामाल हैं 
सरकारी ईनाम हैं लेने गये हैंं सारे हैं खास हैं 

ना राधा है ना कृष्ण है 
राधाकृष्णन का जन्मदिन
सुना है शायद है आज है 

पदचिन्ह हैंं मिटाने हैं नये अपने बनाने हैं ‘उलूक’ 
साफ करने हैंं बहुत हैंं सारे हैं इतिहास हैंं । 

चित्र साभार:
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