उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

लिखना जरूरी है इतिहास ताकि वो बदल सकें समय आने पर उसे


जरूरत है
फिर से देखने की फिर से सोचने
और फिर से मनन करने की
विक्रमादित्य को भी और उसके बेताल को भी

यहाँ तक
उस वृक्ष को भी खोजना जरूरी है इतिहास में
जहां जा कर बार बार बेताल
फिर फिर लटक जाया करता था

उम्र बढ़ने के सांथ सुना है
सांथ छूटने लगता है यादाश्त का
वो बात अलग है कि अब जो भी याद है
पता नहीं याद है या नहीं याद है

पर याद दिलाया जरूर जा रहा है
कि हम सब अपनी अपनी
यादाश्त खो चुकें हैं

बहुत कुछ गिराया गया था
कुछ नया बनाए जाने के लिए
अभी सब कुछ
जमीन पर चल रहा है

‘उलूक’ रात में भी पता नहीं
कैसे देख लेता है जमीन के नीचे तक
उसे मालूम है राख तो बह चुकी है
कई शरीरों की पानी में
पहुँच चुकी हैं समुन्दर के अनंत में
पर लाशें जमीन में दबी हुई
अभी भी देखी जा सकती हैं कि
ज़िंदा है या मर चुकी है वाकई में

बहुत कुछ खोदा जाना है
बहुत कुछ पर मिट्टी डाली जानी है
अभी व्यस्त है समय
और मशीने लगी है नोट गिनने में
पकडे गए जखीरों के

कुछ भी है
लेकिन बेताल और 
विक्रमादित्य को भी
सबक सिखाना जरूरी है
और समझना है कि 
भगवान कल्कि का 
कलयुगी अवतार
इसीलिए पैदा किया गया है |