जब भी कहीं कोई प्रश्न उठता है
कोई ना कोई
कुछ ना कुछ कहता है
प्रश्न तभी उठता है
जब उत्तर नहीं मिलता है
एक ही विषय होता है
सब के प्रश्न
अलग अलग होते हैंं
होशियार के प्रश्न
होशियार प्रश्न होते हैंं
और
बेवकूफ के प्रश्न
बेवकूफ प्रश्न होते हैं
होशियार
वैसे प्रश्न नहीं करते हैं
बस प्रश्नों के उत्तर देते हैं
बेवकूफ
प्रश्न करते हैं
फिर उत्तर भी पूछते हैं
मिले हुऐ उत्तर को
जरा सा भी नहीं समझते है
समझ गये हैं
जैसे कुछ का
अभिनय करते हैं
बहस नहीं करते हैं
मिले हुए उत्तर के चारों ओर
बस सर पर हाथ रखे
परिक्रमा करते हैं
समय भी प्रश्न करता है समय से
समय ही उत्तर देता है समय को
समय होशियार और बेवकूफ नहीं होता है
समय प्रश्नों को रेत पर बिखेर देता है
बहुत सारे
रेत पर बिखरे हुऐ प्रश्न
इतिहास बना देते हैं
रेत पानी में बह जाती है
रेत हवा में उड़ जाती है
रेत में बने महल ढह जाते हैं
रेत में बिखरे रेतीले प्रश्न
प्रश्नों से ही उलझ जाते हैं
कुछ लोग
प्रश्न करना पसन्द करते हैं
कुछ लोग उत्तर के डिब्बे
बन्द करा करते हैं
बेवकूफ
‘उलूक’
की आदत है जुगाली करना
बैठ कर कहीं ठूंठ पर
उजड़े चमन की
जहाँ हर तरफ उत्तर देने वाले
होशियार
होशियारों की टीम बना कर
होशियारों के लिये
खेतों में हरे हरे
उत्तर उगाते हैं
दिमाग लगाने की ज्यादा जरूरत नहीं है
देखते रहिये तमाशे
होशियार बाजीगरों के
घर में बैठे बैठे
घर में बैठे बैठे
बेवकूफों के खाली दिमाग में उठे प्रश्न
होशियारों के उत्तरों का कभी भी
मुकाबला नहीं करते हैं ।
चित्र साभार: Fools Rush In