शिकायत है कि समझ में नहीं आता है
‘उलूक’ पता नहीं क्या लिखता है क्या फैलाता है
‘उलूक’ पता नहीं क्या लिखता है क्या फैलाता है
प्रश्न है
किसलिये पढ़ा जाता है वो सब कुछ
जो समझ में नहीं आता है
समझ में नहीं आने तक
भी ठीक है
नहीं आता है नहीं आता है
पता नहीं फिर
कोई इतना कोई क्यों गाता है
पढ़ने की आदत अच्छी है
कुछ अच्छा पढ़ने के लिये
किसलिये नहीं जाता है
समझ में अच्छा लिखा
बहुत ही जल्दी चला जाता है
कुछ अच्छा पढ़ने के लिये
किसलिये नहीं जाता है
समझ में अच्छा लिखा
बहुत ही जल्दी चला जाता है
घर से
मतलब रखता है
गली में हो रहे शोर से ध्यान हटाता है
शहर में बहुत कुछ होता है
अखबार में उसमें से थोड़ा तो आता है
अखबार दो रुपिये का
अब कौन खरीदता है
बात बस
खबर और समाचार के बीच की
समझाता है बताता है
समस्या और समाधान
बेकार की बातें हैं
व्यवधान
इसी से होता चला जाता है
बेकार की बातें हैं
व्यवधान
इसी से होता चला जाता है
पैसा बहुत जरूरी है
हर महीने की
पहली तारीख को
आ गयी है
का
एस एम एस चला आता है
किसलिये देखना
क्या होता है अपने आसपास
अपनी ही गली में पास की ही सही
क्या होता है अपने आसपास
अपनी ही गली में पास की ही सही
रात में भी बहुत सारे
भौंकते चले जाते हैं कुत्ते गली के
कौन अपनी नींद
खराब करना चाहता है
भौंकते चले जाते हैं कुत्ते गली के
कौन अपनी नींद
खराब करना चाहता है
‘उलूक’ तेरी तरह के बेवकूफ
नहीं हैं हर जगह
कूड़े कचरे पर लिखना
कौन सा गजब हो जाता है
हम ना देखेंगे
ना देखने देंगे किसी को
अपनी आँख से कुछ भी आसपास अपने
तेरा लिखा
जरा सा भी समझ में नहीं आता है
कह लेने में
क्या जाता है?
चित्र साभार:
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