ईसा मसीह को
याद कर रही है
जहाँ सारी दुनियाँ
बहुत सी और भी
हैं महान आत्माएं
किस किस को
याद करें
किस किस को
भूल जायें
पराये अपने
होने लगे हैं
बहुत अच्छा है
आईये कुछ
मोमबत्तियाँ
प्यार के
इजहार
की जलायें
रोशनी प्रेम
और भाईचारे
की फैलायें
सीमायें
तोड़ कर सभी
चलो इसी तरह
किसी एक
दिन ही सही
मंशा आदमियत
की बनायें
आदमी हो जायें
सहेज लें
समय को
मुट्ठी में
इतना कि
अपने पराये
ना हो पायें
याद
आने लगे हैं
अटल जी
याद आ रहे हैं
मालवीय
याद आने
शुरु हो गये हैं
और भी अपने
आस पास के
आज एक नहीं
कई कई
न्यूटन जैसे
और भी हैं
इन्हीं
कालजयी
लोगों में
आज के दिन
जन्म लिये
महापुरुषों में
सभी
तारों को
एक ही
आकाश में
चाँद सूरज
के साथ
देखने की
इच्छा जतायें
पिरो लें
सभी
फूलों को
एक साथ
एक धागे में
एक माला
एक छोटी
ही सही
यादों को
सहेजने
की बनायें
याद आ रहे हो
बब्बा आज
तुम भी बहुत
इन सब के बीच में
तुम्हारी जन्मशती
के दिन हम सब
मिलकर सब के साथ
दिया एक यादों का
आज चलो जलायें
हैप्पी क्रिसमस
मेरी क्रिसमस
जैसे कह
रहे हों राम
ईसा मसीह से
आज कुछ ऐसी
सोच जगायें।
चित्र साभार: Shutterstock
स्व. श्री देवकी नन्दन जोशी 25/12/1917 - 12/02/2007 |