उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

इसके जाने और उसके आने के चरचे जरूर होंगे

समाधिस्त होने
की प्रक्रिया में
एक और वर्ष
संत
दो शून्य एक चार
चार की जगह पाँच
पैदा होने को तैयार
संतों की परम्पराओं
में खरा उतरने
कुछ नया करने
कुछ पुराने को कुतरने
सीमा पाँच दिन दूर
होना है कुछ तो
आर या पार
कंघा निकाल ले
तू भी गंजे
बाल ले अपने संवार
कपड़े अपने नहीं तो
पड़ोसी के ही सही
धुलवा कर स्त्री
करा ले नंगे
किसे पता है
किस गली में
कौन मिल जाये
भगवान भी खेलते हैं
जिस जमीन पर
चोर सिपाही और
तालियाँ पीटते हैं
साथ में भिखमंगे
किस के हाथ
क्या लगे
पानी में तक
नजर है
बहुतों की
गंदगी दिखना
बंद हो रही
बंद गले से
गूँगे भी चिल्लाने
की फिराक में हैं
हर हर गंगे
कूड़े की किस्मत
क्या कहें
झेंप रहा हो
शायद फिराक भी
मुँह छिपा कर
कहीं जन्नत के
किसी कवि
सम्मेलन में
रत्नों में रत्न
अगले किसी दशक
के होने वाले
देश रत्न
सड़क पर फिंकवा
रहे हैं ठेका ले कर
सस्ते में फिर भी
नहीं होते दिख रहे हैं
इस सब पर
कहीं भी पंगे
इंतजार है
बेसब्री से
इसके जाने का
और उसके आने का
पिछले में नहीं आये
अगले में मिल जायें
मरे हुऐ सपने
रात की नींद से
निकल कर कभी तो
जिंदा होकर सामने के
किसी मैदान पर
भगवान राम के साथ
पुष्पक विमान से
हैप्पी न्यू ईयर
कहते कहते शायद
कभी जमीन पर उतरेंगे ।

चित्र साभार: november2013calendar.org

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मैरी क्रिसमस टू यू

पितामह
और
संध्याकाल

गणेश
स्तुति
रामरक्षा
हनुमान
चालीसा
और
ध्यान

कहीं
अंधेरे में
कुछ कुछ
दिखता हुआ

शायद
भगवान

सुबह
की दौड़
बस्ता

प्रार्थना सभा
ईशू के गीत

चमकता
चेहरा
दाड़ी
कुछ कथाऐं

बलिदान
करता हुआ
एक भगवान

पच्चीस दिसम्बर
सजी हुई
एक इमारत

मोमबत्तियाँ
केक चर्च
कहानियाँ
और
कहानियों
में ही कहीं
कोई
एक शैतान

चर्च की
बजती घंटियाँ
मंदिर की
आरतियाँ

सलीब
पर लटका
कोई
एक ईश्वर
गुदा हुआ
कीलों से

रिसता
हुआ खून

बलिदान
करता
एक भगवान

राम में ईशू
ईशू में राम
भगवान ईश्वर
धनुष तलवार
शंखनाद घंटियाँ
मधुर आवाज

बचपन
से पचपन
की ओर
धर्म और
अधर्म

आदमी
और शैतान
आदमी से
आदमी
की कम
होती पहचान

ना दिखे राम
ना मिले ईशू
होते चले
इसके उसके
और
मेरे भगवान

बाकी
कुछ नहीं
रह गया
कहने को

क्या कहूँ
बस
कुछ भूलूँ
कुछ
याद करूँ

हैप्पी
क्रिसमस टू यू
मैरी
क्रिसमस टू यू ।

चित्र साभार: luvly.co

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

पानी रे पानी लिख तो सही तू भी कभी तो कुछ पानी


बहते पानी की एक लहर लिख
और छोड़ दे
पानी में पानी

गंदा है या साफ है
कोई फर्क नहीं पड़ता है
बस पानी होना चाहिये

और उस पानी को
बहने की तमीज होनी चाहिये

मतलब
एक परिभाषा अनुरूप ही होना चाहिये
पानी

जैसे
पानी में रसायन रासायनिक पानी
पानी का मंत्री मंत्री पानी 
पानी का प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री पानी
गंगा का पानी बिना कपड़े का नंगा पानी

पानी
टाई पहने हुऐ एक शरीफ पानी
शोध परियोजना का सबसे महंगा पानी

कुछ भी कह दो कुछ भी लिख दो
किसे पता चलना है कुछ
जब बह गया हो
पानी में पानी

बहुत आसान है
बहुत बेकार का है हर जगह दिखता है
हर जगह मिलता है वही
जो है पानी

लूटता भी नहीं है जिसको हर लुटेरा
सोचता भी कहाँ है
पानी

बहुत अच्छा है
लिख लेना कभी थोड़ा सा
कुछ पानी

किस को पड़ी है
पानी की
कहीं बहता रहे लिखा लिखाया
उसमें कहीं तेरा भी कुछ कहीं
पानी

कितना अच्छा है सोचने में 
कि
तू भी पानी और मैं भी पानी

कहाँ होता है अलग
पानी से कभी कहीं का भी
पानी

लूट खसोट चूस और मुस्कुरा
और फिर कह दे सामने वाले से
कि मैं हूँ
पानी

‘उलूक’
तेरे पानी पानी हो जाने से भी
कुछ नहीं होना है
पानी को रहना है हमेशा ही
पानी ।

मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

सुधर क्यों नहीं जाता है छोटी सी बात करना सीखने के लिये क्यों नहीं कहीं दूर चला जाता है


छोटी छोटी बातों के ऊपर बातें बनाने से 
बात बहुत लम्बी हो जाती है 

अपने आस पास की धुंध गहरी होते होते 
धूल भरी एक आँधी हो जाती है 

बड़ी बात करने वाले को देखने सुनने से 
समझ में आ जाता है 

अच्छी 
मगर एक छोटी पक्की बात 
एक छोटे आदमी को 
कहाँ से कहाँ उठा ले जाती है 

एक छोटी बात से चिपका हुआ आदमी 
अपनी ही बनाई आँधी में आँखें मलता रह जाता है 

एक दिमागदार 
छोटी सी बात का मसीहा 
साल के हर दिन क्रिसमस मनाता है 

सोचने में अच्छा लगता है 
और बात भी समझ में आती है 

मगर 
छोटी छोटी बातों को खोजने परखने में 
सारी जिंदगी गुजर जाती है 

अपने आस पास के देश को देख देख कर 
देश प्रेम उमड़ने से पहले गायब हो जाता है 

देशभक्ति करने की सोच बनाने से पहले 
पुजारी को धंधा और धंधे का फंडा 
कदम कदम पर उलझाता है 

समझदार अपनी आँखों पर दूरबीन 
नाक पर कपड़ा और कान में रुई अंदर तक घुसाता है 

उसका दिखाना दूर आसमान में 
एक चमकता तारा 
गजब का माहौल बनाता है 
तालियों की गड़गड़ाहट में 
सारा आसमान गुंजायमान हो जाता है 

‘उलूक’ आदतन अपनी 
अपने अगल बगल के 
दियों से चोरे गये तेल के 
निशानों के पीछे पीछे 
इस गली से उस गली में चक्कर लगाता है 

कुछ भी हाथ में नहीं लगने के बाद 
खीजता हुआ 
एक लम्बे रास्ते का नक्शा बना कर 
यहाँ छाप जाता है 
छोटे दिमाग की छोटी सोच का 
एक लम्बा उदाहरण और तैयार हो जाता है । 


चित्र साभार: www.gograph.com

सोमवार, 22 दिसंबर 2014

चाय की तलब और गलत समय का गलत खयाल

अपने सामने 
मेज पर पड़े
खाली चाय के एक कप को
देख 
कर लगा

शायद
चाय 
पी ली है
फिर लगा नहीं पी है

अब चाय 
पी या नहीं 
कैसे पता चले
थोड़ी देर सोचा याद नहीं आया
फिर झक मार कर
रसोई की ओर 
चल देने का 
विचार एक बनाया

पत्नी दिखी 
तैयारी में लगी हुई शाम के भोजन की
काटती हुई कुछ हरे पत्ते
सब्जी 
के लिये चाकू हाथ में ली हुई

गैस के चूल्हे के 
सारे चूल्हे दिखे
कुछ तेज और कुछ धीमे जले हुऐ

हर चूल्हे के ऊपर  
चढ़ा हुआ दिखा एक बरतन
किसी से निकलती हुई भाप दिखाई दी
और किसी से आती हुई कुछ कुछ
पकने उबलने की आवाज सुनाई दी

बात अब एक कप 
चाय की नहीं रह गई
लगा जैसे
जनता के बीच 
बिना कुछ किये कराये
एक मजबूत सरकार की हाय हाय की हो गई

थोड़ी सी हिम्मत जुटा 
पूछ बैठा

कुछ याद है 
कि मैंने चाय पी या नहीं पी
पिये की याद नहीं आ रही है
और दो आँखें 
सामने से एक
खाली कप चाय का दिखा रही हैं

श्रीमती जी ने 
सिर घुमाया
ऊपर से नीचे हमे पूरा देखकर
पहले टटोला 
फिर अपनी नजरों को
हमारे चेहरे 
पर टिकाया 

और कहा

बस यही
होना 
सुनना देखना बच गया है
इतने सालों में 
समझ में कुछ कुछ आ भी रहा है

पढ़ पढ़ कर
तुम्हारा 
लिखा लिखाया
इधर उधर कापियों में किताबों में दीवालों में
सब नजर के सामने घूम घूम कर आ रहा है

पर बस
ये ही समझ में 
नहीं आ पा रहा है
किसको कोसना पड़ेगा
हो रहे
इन सब 
बबालों के लिये

उनको
जिनको 
देख देख कर
तुम लिखने लिखाने का रोग पाल बैठे हो
या
उन दीवालों किताबों 
और कापियों को
जिन पर
लिखे हुऐ 
अपने कबाड़ को
बहुत कीमती कपड़े जैसा समझ कर
हैंगर में टाँक बैठे हो

कौन समझाये 
किसे कुछ बताये

एक तरफ एक आदमी
डेढ़ सौ करोड़ को पागल बना कर
चूना लगा रहा है

और
एक तुम हो
जिसे आधा घंटा पहले पी गई चाय को भी
पिये का 
सपना जैसा आ रहा है

जाओ
जा कर 
लिखना शुरु करो
फिर किसी की कहानी का 
कबाड़खाना

चाय
अब दूसरी 
नहीं मिलने वाली है
आधे घंटे बाद 
खाना बन जायेगा
खाने की मेज पर आ जाना ।

चित्र साभार: pngimg.com