सारे शिव
डरपोक
हलाहल
गटके हुऐ
गले गले
नीले पड़े
दिखा रहे हैं
साँपों को
समझा रहे हैं
साँपों को
शाँत रहें
साँप बने रहें
सारे साँप
मौज में हैं
शिव के गले में
माला डाले हुए हैं
हर जगह
शिव ही शिव हैं
हर जगह
साँप ही साँप हैं
डस कोई
किसी को
नहीं रहा है
साँप साँप
के साथ है
और
रह रहा है
परेशान मेंढक
और चूहे हैं
इधर के
साँप से
भी डर है
उधर का साँप भी
निगलने को
तैय्यार है
यहाँ का साँप
वहाँ चला जाता है
बस एक खबर में
चला गया है
कोई बताता है
वहाँ का साँप
यहाँ चला आता है
किसी को कोई
फर्क नहीं
पड़ पाता है
साँप चूहे
छुछूँन्दर
के खेल में
कब कौन साँप
कौन चूहा
कौन छुछून्दर
हो जाता है
‘उलूक’
देखता है
समझता है
बस जानवर
जानवर खेल
नहीं पाता है
आदमी हो लेने
के प्रयास में
मायूस हो जाता है
साँप बना आदमी
आदमी को साँपों
की सोच से डराता है ।
चित्र साभार: Best Clip Art Images
हिदायतें
दे रहें हैं
चिकित्सक
बहुत सारे
मुफ्त में ही
बेहिसाब
और दिन
का लिखना
अलग बात है
बहुत जरूरी है
लिखनी आज
मन की बात
उधर वो बात
दिमागी सेहत
की बता रहे हैं
खाने पीने को
ठीक रखना है
समझा रहे हैं
अकेलेपन से
निपटना है
भीड़ में
घर की ही सही
हिल मिल कर
कुछ इस तरह
से रहना है
बच्चों को भी
देखना है
बुजुर्गों को भी
थोड़ा बहुत
कुछ कहना है
व्यायाम
करना है
नकारात्मक
विचारों को
दिमाग में
नहीं भरना है
आत्मविश्वास
बनाये रखना है
पागल नहीं
हो रहे हैं
सोच कर
मन को
धैर्य दिलाये
रखना है
सोचिये
एक ही
दिन में
कितना
सारा
क्या क्या
करवाने
वो जा रहे हैं
इधर
नासमझ
लोग हैं
ये बात
वो कहाँ
समझ
पा रहे हैं
इतनी सी
छोटी बातों
को समझने
में ही आधी
जिन्दगी काट
कर यहाँ तक
चले आ रहे हैं
मानसिक रोग
को एक अकेला
नहीं समझ
पा रहा है
भीड़ की
हरकतें
देख कर
सामने खड़े
सभी लोगों
को पागल
बता रहा है
रोज
देखता है
सुनता है
कर रही
होती है
भीड़ कुछ
पागलपन
लाचार दूर से
देखता तमाशा
महसूस कर
रहा होता है
कुछ नहीं
कर पा रहा है
बरसों से यही
सब देखता सुनता
समझता रहता है
पागलों के पागलपन
को लिखता जा रहा है
देखने आ
रही है भीड़
लिखे लिखाये को
एक पागल
लिख रहा है
पागलपन अपना
इधर
से लेकर
उधर तक
भीड़ में
बताया जा
रहा है
इलाज
किसका
होना चाहिये
आज के
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस के दिन
‘उलूक’
बस यही बात
आज भी नहीं
समझ पा रहा है
इस
सब के
बावजूद
लेकिन
विश्व मानसिक
स्वास्थ दिवस
के संदेश
को लेकर
फिर भी
दो शब्द
लम्बे लम्बे
कर करा कर
यहाँ कुछ
आदतन लिख
कर जा रहा है ।
चित्र साभार: Mental Health Concern
यूँ हीं देख
लिया कर
कुछ कभी भी
बस देखने के लिये
जिंदगी
कट जाती है
उसकी भी
जिसने आँखे
ताड़ कर पूरे को
पूरा ही घूरा हो
अपनी आँखे
सेकने के लिये
यूँ हीं कह
दिया कर
कुछ भी कभी भी
बस फेंकने के लिये
पता कर
ही लेता है
पता करने वाला
अन्दर की बातें
सारी सामने
वाले की खुद
समेटने के लिये
यूँ ही झुक
लिया कर
थोड़ा सा
कभी भी
बस लपेटने
के लिये
आती हैं
कलाबाजियाँ जिसे
कर ही लेता
है मजबूर
दुश्मन को
घुटने
टेकने के लिये
यूँ ही लिख
लिया कर
कबाड़
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
भेजने के लिये
देखने
आते ही हैं
‘उलूक’
की हरकतें
कुछ लोग
हमेशा ही
देखने के लिये ।
चित्र साभार: Hypergrid Business
शेरो शायरी
बहुत हो गयी
मजा उतना
नहीं आ रहा है
सुना है फिर से
चिट्ठियाँ लिखने
का चलन लौट
कर वापस
आ रहा है
कागज
कलम दवात
टिकट लिफाफे
के बारे में
पूछ रहा है कोई
कई दिनों से
इधर और उधर
के डाकखानों के
चक्कर लगा रहा है
चिट्ठियाँ
लिखना भेजना
डाकिये का पता
देख कर किसी
का घर ढूँढना
कितना होम वर्क
किया जा रहा है
बहुत जरूरी था
चिट्ठी लिखना
लिखवाना
समझ में भी
आ रहा है
फेस बुक
व्हाट्स अप
में अच्छी
तरह से
नहीं पीटा
जा रहा है
चिट्ठियाँ लिखी
जा रही हैं
उसके लिये
मुहूरत भी
निकाला
जा रहा है
बहस
नहीं होनी
चाहिये किसी मुद्दे पर
किसी विशेष दिन
समझ में आ रहा है
ध्यान भटकाना है
मुद्दे और दिन से
चिट्ठी लिखने की
सुपारी को
चिट्ठी
लिखवाने वाला
लिखने वाले
को उसी दिन
भिजवा रहा है
प्रेम पत्र नहीं
सरकारी
पत्र नहीं
कुशल क्षेम
पूछने में
शरमा रहा है
चिट्ठी प्यार का
संदेश नहीं
प्रश्नों का पुलिंदा
बनाया जा रहा है
चिट्ठी
लिख रहा है
लिखने वाला
लिफाफे में
बन्द कर
टिकट नहीं
लगा रहा है
डाकखाना
डाकिया की
बात कौन
किस से पूछे
‘उलूक’
लिखवाने वाला
गली मोहल्ले
सड़क की
दीवार पर
चिपका रहा है ।
चित्र साभार: Pinterest
शुरुआत में
आओ मिर्च
के कारोबार
को अपनायें
आओ
मिर्ची सोचें
मिर्ची सोचवायें
आओ
मिर्ची लगायें
मिर्ची लगवायें
आओ
मिर्ची बोयें
मिर्ची उगायें
आओ
मिर्ची दिखायें
मिर्ची बतायें
आओ
मिर्ची समझें
मिर्ची समझायें
बीच में
आओ
मिर्ची तुलवायें
मिर्ची धुलवायें
आओ
मिर्ची तोड़ें
मिर्ची सुखायें
आओ
मिर्ची बटवायें
मिर्ची पकवायें
आओ
मिर्ची खायें
मिर्ची खिलायें
आओ
मिर्ची लायें
मिर्ची फैलायें
और
अन्त में
आओ
मिर्च जलायें
धुआँ उड़ाये
आओ
मिर्च के गुच्छे में
निम्बू बँधवायें
आओ
‘उलूक’ की
राई मन्तर
करवायें ।
चित्र साभार: 123RF.com