उलूक टाइम्स: अथ: मिर्ची कथा

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

अथ: मिर्ची कथा


रोज
कुछ कहना
जरूरी नहीं है

चलो
आज कुछ
नहीं कहते हैं

तुम्हारी
परेशानी 
को
कुछ आराम 
कुछ छुट्टी देते हैं

कुछ
कहना ही 
एक तीखी मिर्च 
होता जा रहा है

इसका पता 
बहुतों का सी सी 
करना बता रहा है

पर
किसे पता है 
आज का
कुछ 
ना कहना भी 
एक मिर्च ही हो जाये

कुछ
नहीं लिखा है 
करके
किसी की
बिना मिर्च के 
भी सी सी हो जाये

आज
कुछ नहीं कहा
इसका मतलब 
ये मत लगा लेना

छोड़
चुका है 
कोई
मिर्ची लगाना
की
गलतफहमी 
मत बना लेना

जब भी
आस पास
कोई
हरी या लाल
मिर्ची
दिखलाई जायेगी

वो
शब्दों में उतर कर
फिर
किसी ना 
किसी
को
सी सी
जरूर करवायेगी

अपनी
सोच को
इसीलिये
इतना तो 
अब
समझा ही लेना

मिर्चियों के बीच
रहकर
मुश्किल है
मिर्ची से बच पाना

सीख ही लेना
रोज की आदत
एक बना लेना
आदत
डाल लेना 

मिर्ची को पचा लेना

पड़ ही जाता है 
किसी को
कहीं
तांक झांक के
लिये कभी 
चले ही जाना

आदत हो
तो 
सी सी करने 
के
साथ नहीं 
कहना पड़ता है 

नहीं
भाता है
मिर्ची वाला 
परोसा गया 
रोज रोज 
का
जमाने का 
खाना नहीं खाना।

चित्र साभार: www.123rf.com

1 टिप्पणी:

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