गले तक आता है कुछ
मुंह में कुछ और होता है
उलटने में निकलता है जो
वो कुछ और होता है
मुंह में कुछ और होता है
उलटने में निकलता है जो
वो कुछ और होता है
जलन होती ही है
जब जलता है कुछ हौले हौले अंदर कहीं
आग किसने लगायी है
आग कैसे लगायी है से क्या होता है
लौ होती नहीं है कोयला बनता नहीं है
राख उड़ती नहीं है
दियासलाईयां कागज पर कई
एक साथ लिखने से क्या होता है
ख़लिश को कसक कह लें
टीस कह लें या चुभन भी कह लें
तोहफा किस ने दिया है
सोच लेना ही बस जरूरी होता है
तंग नजर को चश्मे दिलाने की
सोचना किस लिए
आत्मघाती के लिए
मरने मारने का जज़्बा होना
जरूरी नहीं होता है
हजार आंखें देखेंगी
एक कबूतर बैठा हुआ मुंडेर पर
समझाएंगी तीतर बटेर कौआ
आंखे खोल कर देखने से भी क्या होता है
‘उलूक’ देखना तुझ को भी है
आंखें खुली भी रखनी है
कबूतर है सोच ही लेना खाली
कह नहीं देना जरा सा भी
मंजूरे खुदा होता है |
जब जलता है कुछ हौले हौले अंदर कहीं
आग किसने लगायी है
आग कैसे लगायी है से क्या होता है
लौ होती नहीं है कोयला बनता नहीं है
राख उड़ती नहीं है
दियासलाईयां कागज पर कई
एक साथ लिखने से क्या होता है
ख़लिश को कसक कह लें
टीस कह लें या चुभन भी कह लें
तोहफा किस ने दिया है
सोच लेना ही बस जरूरी होता है
तंग नजर को चश्मे दिलाने की
सोचना किस लिए
आत्मघाती के लिए
मरने मारने का जज़्बा होना
जरूरी नहीं होता है
हजार आंखें देखेंगी
एक कबूतर बैठा हुआ मुंडेर पर
समझाएंगी तीतर बटेर कौआ
आंखे खोल कर देखने से भी क्या होता है
‘उलूक’ देखना तुझ को भी है
आंखें खुली भी रखनी है
कबूतर है सोच ही लेना खाली
कह नहीं देना जरा सा भी
मंजूरे खुदा होता है |
चित्र साभार: https://stock.adobe.com/
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