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बुधवार, 14 मार्च 2012

लगा दी लंगड़ी



आओ आओ
कोई आओ

सिसूँण
काट कर
जल्दी लाओ

चौराहे पर
खड़े करो सब

पैंट खोल कर
फिर झपकाओ

बेशर्मी की
हद होती है
जनता जिनको
सपने देती है

हरकत उनकी
देखते जाओ

करोड़पति हैं
पढ़े लिखे हैं
अखबारों में
मत छपवाओ

चुल्लू भर
पानी दे आओ

सफेद
कपड़ोंं पर
मत जाओ
दल से इनके
मत भरमाओ

भाईचारा
समझ भी जाओ

किस
सीमा तक
जा सकते हैं
जमीर बेच कर
खा सकते हैं

चरित्र
देश का
मत गिरवाओ

समय अभी भी
बचा हुवा है
लुटने से
अब भी
बच जाओ

आओ आओ 
कोई आओ
जल्दी जाओ
सिसूँण लाओ
मिलकर जाओ
और झपकाओ।

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सिसूँण = बिच्छू घास चित्र साभार:   https://weedid.missouri.edu
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शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

बिल्ली युद्ध

आइये शुरू
किया जाये
एक खेल

वही पुराना

बिल्लियों को
एक दूसरे से
आपस मे
लड़वाना

जरूरी नहीं

की बिल्ली
मजबूत हो

बस एक अदद

बिल्ली का होना
है बेहद जरूरी

चूहे कुत्ते सियार

भी रहें तैयार

कूद पड़ें

मैदान में
अगर होने
लगे कहीं
मारा मार

शर्त है

बिल्ली बिल्ली
को छू नहीं
पायेगी

गुस्सा दिखा

सकती है
केवल मूंछ
हिलायेगी

मूंछ का

हिलना बता
पायेगा बिल्ली
की सेना को
रास्ता

सारी लड़ाई

बस दिखाई
जायेगी

अखबार टी वी

में भी आयेगी

कोई बिल्ली

कहीं भी नहीं
मारी जायेगी

सियार कुत्ते

चूहे सिर्फ
हल्ला मचायेंगे

बिल्ली के लिये

झंडा हिलायेंगे

जो बिल्ली

अंत में
जीत पायेगी

वो कुछ

सालों के लिये
फ्रीज कर दी
जायेगी

उसमें फिर

अगर कुछ
ताकत बची
पायी जायेगी

तो फिर से

मरने मरने
तक कुछ
कुछ साल में
आजमाई जायेगी

जो हार जायेगी

उसे भी चिंता
करने की
जरूरत नहीं

उसके लिये

दूध में अलग
से मलाई
लगाई जायेगी।

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

अखबार

आज का
अखबार

कल की
थीं खबर 

मुख्य पृष्ठ
पर दहाडे़

अन्ना लगा
निशाना

बेचारे राहुल
पर
सोनिया
को छोड़ कर 

छोड़ विदेशी
डालर
और मिशन
कुछ लोगों

ने लिया
सेना में कमीशन

बेटा कर्नल
बाप को

मार रहा
था सैल्यूट

यही परिवार
पीड़ी दर पीड़ी

सेना में
ठोक रहा
है बूट

पेज पलट
कर देखा

शिक्षण
संस्थाओं में

छात्र छात्राऎं
दिखा
रहे थे
बैनर झंडे

मास्टरों को
भगा रहे थे

दिखा दिखा
कर डंडे

विद्वतगणों की
मारा मारी

दिखा रहा
था पेज तीन

भारी भारी
लोग दिख

रहे थे
फोटो में तल्लीन

अपनी ही
प्रतिभा नहीं

आ रही
प्रदेश के काम

हैडिंग थी
खबर थी

अंत में थे
शहर

के भारी नाम
शिक्षा तंत्र
को
विकसित
करने
पर
लगायें जोर

आह ! 
कहाँ शरण
लेंगे
अब
शिक्षा माफिया

के नामी
गिरामी चोर

पेज चार
पर थी वही

वेतन की
मारा मारी

पेज पांच
पर बनायी

गयी थी
योजना
एक
बड़ी भारी

हिमालय बचाने
को
लाया
जाने वाला

है बहुत पैसा
सेमिनार
कार्यशाला

पर दिख
रहा था

विज्ञान का
भरोसा

पेज पांच से
अंत तक

विज्ञापन और
थे समाचार

जिन्हें पढ़ कर
आ रही
थी नींद

क्योंकी बिना
धंधे के

वे सब
थे बेकार ।