उलूक टाइम्स: सिसूँण
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बुधवार, 14 मार्च 2012

लगा दी लंगड़ी



आओ आओ
कोई आओ

सिसूँण
काट कर
जल्दी लाओ

चौराहे पर
खड़े करो सब

पैंट खोल कर
फिर झपकाओ

बेशर्मी की
हद होती है
जनता जिनको
सपने देती है

हरकत उनकी
देखते जाओ

करोड़पति हैं
पढ़े लिखे हैं
अखबारों में
मत छपवाओ

चुल्लू भर
पानी दे आओ

सफेद
कपड़ोंं पर
मत जाओ
दल से इनके
मत भरमाओ

भाईचारा
समझ भी जाओ

किस
सीमा तक
जा सकते हैं
जमीर बेच कर
खा सकते हैं

चरित्र
देश का
मत गिरवाओ

समय अभी भी
बचा हुवा है
लुटने से
अब भी
बच जाओ

आओ आओ 
कोई आओ
जल्दी जाओ
सिसूँण लाओ
मिलकर जाओ
और झपकाओ।

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सिसूँण = बिच्छू घास चित्र साभार:   https://weedid.missouri.edu
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