आओ आओ
कोई आओ
सिसूँण
काट कर
जल्दी लाओ
चौराहे पर
खड़े करो सब
पैंट खोल कर
फिर झपकाओ
बेशर्मी की
हद होती है
जनता जिनको
सपने देती है
हरकत उनकी
देखते जाओ
करोड़पति हैं
पढ़े लिखे हैं
अखबारों में
मत छपवाओ
चुल्लू भर
पानी दे आओ
सफेद
कपड़ोंं पर
मत जाओ
दल से इनके
मत भरमाओ
भाईचारा
समझ भी जाओ
किस
सीमा तक
जा सकते हैं
जमीर बेच कर
खा सकते हैं
चरित्र
देश का
मत गिरवाओ
समय अभी भी
बचा हुवा है
लुटने से
अब भी
बच जाओ
आओ आओ
कोई आओ
जल्दी जाओ
सिसूँण लाओ
मिलकर जाओ
और झपकाओ।
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सिसूँण = बिच्छू घास चित्र साभार: https://weedid.missouri.edu
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