उलूक टाइम्स: अल्बर्ट पिंटो
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शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

अलबर्ट पिंटो को गुस्सा आज भी आता है


अल्बर्ट पिंटो और उसका गुस्सा 
बहुत पुराना है किस्सा 

क्या है क्यों है किसको पता है 
किसको नहीं पता है 

लेकिन गुस्सा आता है 
सबको आता है 
किसी को कम किसी को ज्यादा 
कोई बताता है कोई नहीं बताता है 

कोई खुश होता है 
गुस्सा खाता है और पचाता है 

अलग अलग तरह के गुस्से 
दिखते भी हैं 

चलने के तरीके में टहलने के तरीके में 
बोलने के तरीके में तोलने के तरीके में 

कम उम्र में हो सकता है 
नहीं आ पाता है 

पर देखते समझते 
घर से लेकर बाजार तक परखते 
सीख लिया जाता है 

गुस्सा नजर आना 
शुरु हो जाता है 

लिखे हुऐ में नहीं लिखे हुऐ में 
कहे हुऐ में चुप रहे हुऐ में 

अच्छा होता है अगर दिखता रहे 
कहीं भी सही 

पकता रहे उबलता रहे 
खौलता रहे चूल्हे में चढ़े 
एक प्रेशर कूकर की तरह बोलता रहे 

नहीं तो कहीं किसी गली में 
समझ ले अच्छी तरह उलूक
अपने ही सिर के बाल नोचता हुआ 
खींसें निपोरता हुआ
एक अलबर्ट पिंटो हो जाता है 

और किसी को पता नहीं होता है 
उसको गुस्सा क्यों आता है ।