अल्बर्ट पिंटो और उसका गुस्सा
बहुत पुराना है किस्सा
क्या
है क्यों है किसको पता है
किसको नहीं पता है
लेकिन गुस्सा आता है
सबको आता है
किसी
को कम किसी को ज्यादा
कोई बताता है कोई नहीं बताता है
कोई खुश होता है
गुस्सा खाता है और पचाता है
अलग अलग तरह के गुस्से
दिखते भी हैं
चलने के तरीके में टहलने के तरीके में
बोलने के तरीके में तोलने के तरीके में
कम उम्र में हो सकता है
नहीं आ पाता है
पर देखते समझते
घर से लेकर बाजार तक परखते
सीख लिया जाता है
गुस्सा नजर आना
शुरु हो जाता है
लिखे हुऐ में नहीं लिखे हुऐ में
कहे हुऐ में चुप रहे हुऐ में
अच्छा होता है अगर दिखता
रहे
कहीं भी सही
पकता रहे उबलता रहे
खौलता रहे चूल्हे में चढ़े
एक प्रेशर कूकर की तरह बोलता रहे
नहीं तो
कहीं किसी गली में
समझ ले अच्छी तरह ‘उलूक’
अपने ही सिर के बाल
नोचता हुआ
खींसें निपोरता हुआ
एक अलबर्ट पिंटो हो जाता है
एक अलबर्ट पिंटो हो जाता है
और किसी को पता नहीं होता
है
उसको गुस्सा क्यों आता है ।