उलूक टाइम्स: आता
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बुधवार, 25 नवंबर 2015

अपनों के किये कराये पर लिखा गया ना नजर आता है ना पढ़ा जाता है ना समझ आता है

भाई ‘उलूक’
लिखना लिखाना है
ठीक है लिखा करो
खूब लिखा करो
मस्त लिखा करो
रोज लिखा करो
जितना मन में आये
जो चाहे लिखा करो
बस इतना और
कर दिया करो
क्या लिखा है
किस पर लिखा है
क्यों लिखा है
वो भी कहीं ऊपर
या कहीं नीचे
दो चार पंक्तियों में
हिंदी में या उर्दू में
लिख कर भी
कुछ कुछ
बता दिया करो
बहुत दिमाग लगाने
के बाद भी तुम्हारे
लिखे लिखाये में से
कुछ भी निकलकर
कभी भी नहीं आता है
जितना दिमाग के अंदर
पहले से होता है वो भी
गजबजा कर पता नहीं
कहाँ को चला जाता है
अब कहोगे जिसे समझ
में नहीं आता है तो वो
फिर पढ़ने के लिये
किस लिये रोज यहाँ
चला आता है
लोगों के आने जाने
की बात आने जाने
वालों की संख्या बताने
वाला गैजेट बता जाता है
लिखने लिखाने वाला
उसी पर लिखता है
जो लिखने वाले के
साथ पढ़ने वाले को
साफ साफ सामने
सामने से दिखता है
और नजर आता है
लिखने वाला आदतन
लिखता है सब कुछ
उसे पता होता है
पढ़ने वाला
कहीं साफ साफ सब
लिख तो नहीं दिया गया है
देखने के लिये चला आता है
पढ़ता है सब कुछ
साफ साफ समझता है
लिख दिये पर खिसियाता है
और फिर इसका लिखा
समझ में नहीं आता है
की डुगडुगी बजाता हुआ
गली मोहल्ले बाजार से
होते हुऐ शहर की ओर
निकल कर चला जाता है ।

चित्र साभार: www.fotosearch.com

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

आता माझी सटकली

आता
माझी सटकली
सोचते सोचते

किसी दिन पूरा
ही सटक जायेगा

दो और दो पाँच 

करने वालों से
पंगा लेना छोड़ दे

उनका जैसा
कभी किसी को
नहीं पढ़ा पायेगा

पाँच चार से
हमेशा ही एक
ज्यादा रहेगा
आगे बहुत दूर
निकल जायेगा

चार पर ही
अटके रहने
वाले को

गिनती करने
के काम से भी
हटा दिया जायेगा

पाँच ही से
पंच परमेश्वर
बनता है

उसे ही मंदिर में
बैठाया जायेगा

चार करने वाले
अभी भी कुछ
नहीं गया है

पाँच सीख ले
नहीं तो दो से भी
हाथ गवाँयेगा

छोड़ दे देखना

वो सब तुझे
जानबूझ कर
तेरे सामने
लाकर दिखायेगा

फर्जी
लोगों का
फर्जीवाड़ा
पंचों की राय
से ही कोई
करायेगा

शातिर जानते हैं
चार पर अटका
हुआ ही जाकर
पाँच के कारनामे
जोर शोर से गायेगा

गाना खत्म होने
से पहले फर्जी
पर्चियों के साथ
गायब हो जायेगा

भजन होंगे
भगत होंगे
रामनामी दुपट्टा
बस रह जायेगा

दो और दो पाँच
ही सिद्ध होगा
चार चार करने वाला
बस गालियाँ खायेगा

पंचों के
मंदिर बनेंगे
शिष्य भी
श्रद्धा से
फूल चढ़ायेगा

दो और दो
पाँच सीखकर
दो और दो पाँच
पढ़ायेगा

‘उलूक’
'आता माझी सटकली'
सोचते सोचते
किसी दिन पूरा
ही सटक जायेगा ।

 चित्र साभार: ingujarat.net