अंधेरे
के घेरे हैं
चारों तरफ
उजालों
से नफरत
हो जायेगी
दिया
लेकर
चले आओगे
रोशनी
ही भटक
जायेगी
कितनी
बेशर्मी
से कह
गये वो
रोशन है
आशियां
रोशनी
भी आयेगी
बेवफाओं
को तमगे
बटे हैं
वफा
ही क्यों
ना शर्मायेगी
यकीं
होने लगा
है पूरा
मुझको
दुनियां
यूं ही
बहल
जायेगी ।
के घेरे हैं
चारों तरफ
उजालों
से नफरत
हो जायेगी
दिया
लेकर
चले आओगे
रोशनी
ही भटक
जायेगी
कितनी
बेशर्मी
से कह
गये वो
रोशन है
आशियां
रोशनी
भी आयेगी
बेवफाओं
को तमगे
बटे हैं
वफा
ही क्यों
ना शर्मायेगी
यकीं
होने लगा
है पूरा
मुझको
दुनियां
यूं ही
बहल
जायेगी ।