जंगल
में उगते हैं
कुकुरमुत्ते
कोई
भाव नहीं
देता है
उगते
चले
जाते हैं
बिना
खाद
पानी के
शहर
में सब्जी
की दुकान पर
मशरूम
के नाम पर
बिक जाते हैं
कुकुरमुत्ते
अच्छे
भाव के साथ
चाव से
खाते हैं लोग
बिना
किसी डर के
गिरगिट
की तरह
रंग
बदल लेना
या फिर
कुकुरमुत्ता
हो जाना
होते
नहीं हैं
एक जैसे
बहुत से
गिरगिट
रंग बदलते
चले जाते हैं
इंद्रधनुष
बनने की
चाह में
पर उन्हेंं
पता ही
नहीं चल
पाता है
कि
वो
कब
कुकुरमुत्ते
हो गये
कुकुरमुत्तों
की भीड़
में उगते हुवे
मशरूम
भी नहीं
हो पाये।
में उगते हैं
कुकुरमुत्ते
कोई
भाव नहीं
देता है
उगते
चले
जाते हैं
बिना
खाद
पानी के
शहर
में सब्जी
की दुकान पर
मशरूम
के नाम पर
बिक जाते हैं
कुकुरमुत्ते
अच्छे
भाव के साथ
चाव से
खाते हैं लोग
बिना
किसी डर के
गिरगिट
की तरह
रंग
बदल लेना
या फिर
कुकुरमुत्ता
हो जाना
होते
नहीं हैं
एक जैसे
बहुत से
गिरगिट
रंग बदलते
चले जाते हैं
इंद्रधनुष
बनने की
चाह में
पर उन्हेंं
पता ही
नहीं चल
पाता है
कि
वो
कब
कुकुरमुत्ते
हो गये
कुकुरमुत्तों
की भीड़
में उगते हुवे
मशरूम
भी नहीं
हो पाये।