गधे ने किसी गधे को
गधा कह कर आज तक नहीं बुलाया
गधा कह कर आज तक नहीं बुलाया
आदमी कौन से सुर्खाब के पर
अपने लगा कर है आया
बता दे कुछ
जरा सा भी किसी धोबी के दुख: को
थोड़ा सा भी
वो कम कभी हो कर पाया
किस अधिकार से
जिसको भी चाहे गधा कहता हुआ
चलता है चला आज तक आया
गधों के झुंड देखिये
किस शान से दौड़ते जंगलों में चले जाते हैं
बस अपनी
अपनी गधी या बच्चों की बात ही बस नहीं सोच पाते हैं
अपनी गधी या बच्चों की बात ही बस नहीं सोच पाते हैं
जान दे कर
जंगल के राजा शेर की जान तक बचाते हैं
बस घास को भोजन के रूप में ही खाते हैं
घास की ढेरी बना के कल के लिये भी नहीं वो बचाते हैं
सुधर जायें अब लोग
जो यूँ ही गधे को बदनाम किये जाते हैं
आदमी के कर्मों को कोई क्या कहे
क्यों अब तक नहीं शर्माते हैं
क्यों अब तक नहीं शर्माते हैं
गधा है कहने की जगह अब
आदमी हो गया है
कहना शुरू क्यों नहीं हो जाते हैं
कहना शुरू क्यों नहीं हो जाते हैं
गधे भी
वाकई में गधे ही रह जाते हैं
कोई आंदोलन कोई सत्याग्रह
इस उत्पीड़न के खिलाफ
क्यों नहीं चलाते हैं ।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
क्यों नहीं चलाते हैं ।
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