उलूक टाइम्स: उल्टियाँ
उल्टियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
उल्टियाँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 20 सितंबर 2017

इज्जत मत उतारिये ‘उलूक’ की बात कर साहित्य और साहित्यकारों की समझिये जरा वो बस अपनी उल्टियाँ लिख रहा है


ना धूल दिख रही है कहीं 
ना धुआँ ही दिख रहा है
एक बेवकूफ कह रहा है 
साँस नहीं ली जाती है 
और दम घुट रहा है

हर कोई खुश है
खुशी से लबालब है 
सरोबार दिख रहा है
इतनी खुशी है
सम्भलना ही उनका 
मुश्किल दिख रहा है

हर कदम बहक रहा है
बस एक दो का नहीं
पूरा शहर दिख रहा है

देखने वाले की है मुसीबत 
कोई पूछ ले उससे 
तू पिया हुआ सा 
क्यों नहीं दिख रहा है

कोई नहीं समझ रहा है
ऐसा हर कोई कह रहा है

अपने अपने चूल्हे हैं 
अपनी अपनी आग है
हर कहने वाला 
मौका देख कर 
अपनी सेक रहा है

‘उलूक’ देख रहा है
कोई नहीं जानता है
उसको और उसकी बकवास को
उसकी तस्वीर का जनाजा
अभी तक कहीं नहीं निकल रहा है

क्या कहें
दूर कहीं बैठे साहित्यकारों से
जो कह रहे हैं किसी से
मिलने का दिल कर रहा है

हर शाख पर बैठे
उल्लू के प्रतीक उलूक को
सम्मानित करने वाली जनता 
‘उलूक’ उल्लू का पट्ठा
कौड़ियों के मोल का अपने शहर का 
बाहर कहीं लग रहा है
गलतफहमी में शायद कुछ
ज्यादा ही बिक रहा है ।

चित्र साभार: twodropsofink.com