शेर
होते नहीं हैं
शायर
समझ नहीं पाते हैं
कुछ इशारे
गूँगों के समझ में
नहीं आते हैं
नदी
होते नहीं हैं
समुन्दर
पहुँच नहीं पाते हैं
कुछ घड़े
लबालब भरे
प्यास नहीं बुझाते हैं
पढ़े
होते नहीं हैं
पंडित
नहीं कहलाते हैं
कुछ
गधे तगड़े
धोबी के
हाथ नहीं आते हैं
अंधे
होते नहीं हैं
सच
देखने नहीं जाते हैं
कुछ
आँख वाले
रोशनी में
चल नहीं पाते हैं
अर्थ
होते नहीं हैं
मतलब
निकल नहीं पाते हैं
कुछ भी
लिखने वाले को
पढ़ने नहीं जाते हैं
काम
करते नहीं हैं
हरामखोर
बताये नहीं जाते हैं
कुछ
शरीफों के
समाचार
बनाये नहीं जाते हैं
लिखते
कुछ नहीं हैं
पढ़ने
नहीं जाते हैं
करते
चले चलते हैं
बहुत कुछ
‘उलूक’
निशान
किये कराये के
दिखाये नहीं जाते हैं ।
चित्र साभार: www.fotolia.com
होते नहीं हैं
शायर
समझ नहीं पाते हैं
कुछ इशारे
गूँगों के समझ में
नहीं आते हैं
नदी
होते नहीं हैं
समुन्दर
पहुँच नहीं पाते हैं
कुछ घड़े
लबालब भरे
प्यास नहीं बुझाते हैं
पढ़े
होते नहीं हैं
पंडित
नहीं कहलाते हैं
कुछ
गधे तगड़े
धोबी के
हाथ नहीं आते हैं
अंधे
होते नहीं हैं
सच
देखने नहीं जाते हैं
कुछ
आँख वाले
रोशनी में
चल नहीं पाते हैं
अर्थ
होते नहीं हैं
मतलब
निकल नहीं पाते हैं
कुछ भी
लिखने वाले को
पढ़ने नहीं जाते हैं
काम
करते नहीं हैं
हरामखोर
बताये नहीं जाते हैं
कुछ
शरीफों के
समाचार
बनाये नहीं जाते हैं
लिखते
कुछ नहीं हैं
पढ़ने
नहीं जाते हैं
करते
चले चलते हैं
बहुत कुछ
‘उलूक’
निशान
किये कराये के
दिखाये नहीं जाते हैं ।
चित्र साभार: www.fotolia.com