अच्छा
है
सबसे
खुद
से
बात कर
खुद
को
समझाना
मतलब
कही गयी
अपनी ही
बात का
सारे
अबदुल्ला
नाच रहे हों जहाँ
दीवाने
हो कर
बेगानी शादियों में
मौका होता है
बैण्ड के
शोर के बीच
खुद से
खुद की
मुलाकात का
कभी
नंगे किये जायें
सारे शब्द
ऐसे ही
किसी शोर में
उधाड़ कर
खोल
उनके भी
उतार कर
निचोड़ कर
रखते हुऐ
धूप में
सुखाने के लिये
मुखौटे
बारी बारी
एक
एक शरीफ
किरदार का
लहसुन
और
प्याज मानकर
खोलते
चले जायें परतें
समय
के साथ बढ़ते
पनपते सड़ते
मतलब शब्दों के
देखकर
सामने से खेल
हजूरे आला
और
खिदमतदारों
से
बजबजाये
दरबार का
‘उलूक’
लिखना
ना लिखना
रोज
लिखना
कभी कभी
लिखना
नहीं
बदलना है
सोच का
संडास में
बह रही
गंगा जमुनी
तहजीब के
साफ सफाई
के बहाने से
घर घर
की बातों के
छुपे छुपाये
मजहबी
सुनहरे
लूटने
लुटाने के
हिंदुस्तानी
हिंदू मुसलमाँ
होते हिसाब का ।
चित्र साभार: https://in.pinterest.com/pin/32299322314263872/?lp=true
है
सबसे
खुद
से
बात कर
खुद
को
समझाना
मतलब
कही गयी
अपनी ही
बात का
सारे
अबदुल्ला
नाच रहे हों जहाँ
दीवाने
हो कर
बेगानी शादियों में
मौका होता है
बैण्ड के
शोर के बीच
खुद से
खुद की
मुलाकात का
कभी
नंगे किये जायें
सारे शब्द
ऐसे ही
किसी शोर में
उधाड़ कर
खोल
उनके भी
उतार कर
निचोड़ कर
रखते हुऐ
धूप में
सुखाने के लिये
मुखौटे
बारी बारी
एक
एक शरीफ
किरदार का
लहसुन
और
प्याज मानकर
खोलते
चले जायें परतें
समय
के साथ बढ़ते
पनपते सड़ते
मतलब शब्दों के
देखकर
सामने से खेल
हजूरे आला
और
खिदमतदारों
से
बजबजाये
दरबार का
‘उलूक’
लिखना
ना लिखना
रोज
लिखना
कभी कभी
लिखना
नहीं
बदलना है
सोच का
संडास में
बह रही
गंगा जमुनी
तहजीब के
साफ सफाई
के बहाने से
घर घर
की बातों के
छुपे छुपाये
मजहबी
सुनहरे
लूटने
लुटाने के
हिंदुस्तानी
हिंदू मुसलमाँ
होते हिसाब का ।
चित्र साभार: https://in.pinterest.com/pin/32299322314263872/?lp=true