हर समय
कुछ ना कुछ
किसी पर
लिखा ही
जाता है
क्यों
लिखा जाये
किस के लिये
लिखा जाये
अलग बात है
पर
प्रश्न तो एक
सामने से
आकर खड़ा
हो ही जाता है
रोकते
रोकते हुऐ
फिर भी
ज्वालामुखी
फटने की
कगार पर
होने के
आसपास
थोड़ा सा लावा
आदममुख
से बाहर
निकल कर
आ जाता है
माफ करेंगे
झेलने वाले
बकवास
करने के लिये
कोई अगर
यहाँ चला
भी आता है
‘उलूक’ की
बकवास में
एक दो शब्दों
का बहुतायत में
पाया जाना
अभी तक तो
नाजायज नहीं
माना जाता है
झेलना
परिस्थिति को
हर किसी के
आसपास
और
हिसाब की
कहना भी
जरूरी
हो जाता है
तो शुरु करें
आज का
पकाया हुआ
देखें कहाँ तक
अपनी गंध
फैला पाता है
हर गधा
गौर करियेगा
गधा
गधे की
बकवासों में
कितनी कितनी बार
प्रयोग किया जाता है
हाँ तो
हर गधा
धोबी होना
चाहता है
धोबी होकर
अपने
मातहतों को
गधा बना कर
धोना चाहता है
सबसे
अच्छा गधा
होने के लिये
वाहन चालक होना
जरूरी माना जाता है
कम्प्यूटर
जानने वाला गधा
दूसरे नम्बर पर
रखा जाता है
गधा बनाने
की प्रक्रिया में
जाति धर्म
देश प्रदेश पर
ध्यान नहीं
दिया जाता है
सोशियल
मीडिया में
भेजा गया गधा
कभी अपना
खाली दिमाग
नहीं लगाता है
खुद ही
अपने लिखे
लिखाये से
किसका
गधा हूँ
बता जाता है
किसी के
सच का आईना
सामने लाने पर
गधों का एक समूह
पगला जाता है
तर्क देना
जरूरी नहीं
माना जाता है
घेर कर
ऐसे ही सच को
गधों
के द्वारा
लपेटने या पटकने
का प्रयास
किया जाता है
हर गधा
अपने सामने वाले के
गधेपन का फायदा
उठाना चाहता है
‘उलूक’ खुद
एक गधा
समझता है
खुद को
अपने
आसपास
के धोबियों से
अपनी पीठ
बचाने का हिसाब
खुद ही लगाता है
कभी
फंस जाता है
कभी
थोड़ा कुछ
बचा भी ले जाता है
माफ करेंगे
विद्वान लोग
गधा धोबी
पुराण से
देश चल रहा
हो जहाँ
वहाँ
जो जितनी जोर से
रेंक लेता है
उतना
सम्मानित
बता कर
उपहारों से
लाद दिया जाता है
बहुत ज्यादा
एक ही बार में
लिखना ठीक
भी नहीं है
छोटी छोटी
कहानियाँ
गधों की
मिला कर भी
गधा पुराण
बनाया जाता है ।
चित्र साभार: https://moralstories29897.blogspot.com
कुछ ना कुछ
किसी पर
लिखा ही
जाता है
क्यों
लिखा जाये
किस के लिये
लिखा जाये
अलग बात है
पर
प्रश्न तो एक
सामने से
आकर खड़ा
हो ही जाता है
रोकते
रोकते हुऐ
फिर भी
ज्वालामुखी
फटने की
कगार पर
होने के
आसपास
थोड़ा सा लावा
आदममुख
से बाहर
निकल कर
आ जाता है
माफ करेंगे
झेलने वाले
बकवास
करने के लिये
कोई अगर
यहाँ चला
भी आता है
‘उलूक’ की
बकवास में
एक दो शब्दों
का बहुतायत में
पाया जाना
अभी तक तो
नाजायज नहीं
माना जाता है
झेलना
परिस्थिति को
हर किसी के
आसपास
और
हिसाब की
कहना भी
जरूरी
हो जाता है
तो शुरु करें
आज का
पकाया हुआ
देखें कहाँ तक
अपनी गंध
फैला पाता है
हर गधा
गौर करियेगा
गधा
गधे की
बकवासों में
कितनी कितनी बार
प्रयोग किया जाता है
हाँ तो
हर गधा
धोबी होना
चाहता है
धोबी होकर
अपने
मातहतों को
गधा बना कर
धोना चाहता है
सबसे
अच्छा गधा
होने के लिये
वाहन चालक होना
जरूरी माना जाता है
कम्प्यूटर
जानने वाला गधा
दूसरे नम्बर पर
रखा जाता है
गधा बनाने
की प्रक्रिया में
जाति धर्म
देश प्रदेश पर
ध्यान नहीं
दिया जाता है
सोशियल
मीडिया में
भेजा गया गधा
कभी अपना
खाली दिमाग
नहीं लगाता है
खुद ही
अपने लिखे
लिखाये से
किसका
गधा हूँ
बता जाता है
किसी के
सच का आईना
सामने लाने पर
गधों का एक समूह
पगला जाता है
तर्क देना
जरूरी नहीं
माना जाता है
घेर कर
ऐसे ही सच को
गधों
के द्वारा
लपेटने या पटकने
का प्रयास
किया जाता है
हर गधा
अपने सामने वाले के
गधेपन का फायदा
उठाना चाहता है
‘उलूक’ खुद
एक गधा
समझता है
खुद को
अपने
आसपास
के धोबियों से
अपनी पीठ
बचाने का हिसाब
खुद ही लगाता है
कभी
फंस जाता है
कभी
थोड़ा कुछ
बचा भी ले जाता है
माफ करेंगे
विद्वान लोग
गधा धोबी
पुराण से
देश चल रहा
हो जहाँ
वहाँ
जो जितनी जोर से
रेंक लेता है
उतना
सम्मानित
बता कर
उपहारों से
लाद दिया जाता है
बहुत ज्यादा
एक ही बार में
लिखना ठीक
भी नहीं है
छोटी छोटी
कहानियाँ
गधों की
मिला कर भी
गधा पुराण
बनाया जाता है ।
चित्र साभार: https://moralstories29897.blogspot.com