उलूक टाइम्स: ग्रहण
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रविवार, 5 मई 2019

ग्रह पूर्वा और इससे लगे ग्रहण को पूर्वाग्रह ग्रसित बताने का ठेकेदार नजर में आ गया

कुछ
दिनों से

लगातार
हो रही

खुजली
के इलाज
के बावत

किसी
चिकित्सक
के पास
जाने का

मन
बनाते बनाते

‘उलूक’

एक
“चिट्ठा ज्योतिष”
के चिट्ठे से


टकरा गया

नौ
ग्रहों का
छोड़कर
अगला


एक 
दसवें ग्रह
का बहीखाता

 साथ
में लेकर
आ गया

ग्रह
पूर्वा
के नाम से
जाना
जाने वाला

कुछ
लोगों को
लोगों के
पीछे लगाना

अगर
आप को
आ गया

तो
समझ लीजिये

जमाना
आपकी
मुट्ठी में
आ गया

ग्रह
पूर्वा का
ग्रहण
लगाने वाले

किसी
ना किसी
मदारी के
बन्दर होते हैं

वो
बताते हैं

 और
समझाते भी हैं

उनकी
लाईन से
अलग चलने वाले

पूर्वा ग्रह
से ग्रसित
बना
दिये जायेंगे

डंका

बजा बजा
कर शोर
मचा गया

उनको
बेशरम होकर

 किसी भी
हमाम में
नाच लेने
का तरीका

बहुत अच्छी
तरह से आता है

कुछ तो
तुम भी डरो

कह कर

डरा गया

उनके
नाचने के
तरीके
और
हिसाब से

उनको
कहीं

किसी
अच्छी
जगह पर
बैठा कर

ईनाम
दिया जाता है

बता गया
दिखा गया

सरकार
के आते ही

ऐसे ही
सारे लोगों को

कहीं ना कहीं
बैठा
दिया जाता है

उदाहरण
बता गया

एक
उदाहरण

जैसे
मास्टर
कोई है

कुलपति
बना दिया
जाता है

किसे
पता होता है

ऐसे
मास्टर
साहब का

कहीं ना कहीं

 किसी
संगठन
में जाकर

पैसे देने
और
सर झुकाने

का खाता है

इसी ग्रह
पूर्वा के
बारे में
बात करने

और
इस ग्रह से

लोगों को
ग्रसित
करने वाले
कुछ लोग

कुछ
सम्मानित लोगों

और
उनके किसी
फ्रंट में

जगह
बना लेते हैं

फिर
वहीं से
गुर्राते हैं

लोगों में
ग्रहण
लगाते हैं

कुछ
ना कह

और
कर
सकने
वाले लोग

पूर्वा
ग्रह
ग्रसित
हो जाते हैं

हमारी सुनो

हमारे
कहे से कहो

सोच
अपनी होना
ठीक नहीं

समझा गया

‘उलूक’
देखता हैं

उलूक
समझता है

ऐसे
सभी शरीफ
लोगों को

अपने 

आस पास के

पता
नहीं चला
बहुत दूर का

ऐसा ही
एक शरीफ

शरीफों
का रिश्तेदार


‘उलूक’
से
आकर

कब 

टकरा गया ।


चित्र साभार: https://www.aesc.org

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

गुरु की पूर्णिमा को सुना है आज ग्रहण लगने जा रहा है चाँद भी पीले से लाल होना चाह रहा है

गुरुआइन को
सुबह से
क्रोध आ रहा है

कह कुछ
नहीं रही है

बस
छोटी छोटी
बातों के बीच

मुँह कुछ लाल
और
कान थोड़ा सा
गुलाल हो
जा रहा है

गुरु के चेले
पौ फटते ही
शुरु हो लिये हैं

कहीं चित्र में
चेला गुरु के
चरणों में झुका

कहीं गुरु चेले की
बलाइयाँ लेता
नजर आ रहा है

चेले गुरु को
भेज रहे हैं
शुभकामनाएं
गुरु मन्द मन्द
मुस्कुरा रहा है

ब्रह्मा विष्णु
महेश ही नहीं
साक्षात परम ब्रह्म
के दर्शन पा लिया
दिखा कर चेला
धन्य हुआ जा रहा है

‘उलूक’ आदतन
अपने पंख लपेटे
सूखे पेड़ के
खोखले ठिये पर
बार बार पंजे
निकाल कर
अपने कान
खुजला रहा है

गुरु चेलों की
संगत में
अभी अभी
सामने सामने
दिखा नाटक
और
तबलेबाजी
का नजारा

उससे
ना उगला
जा रहा है
ना निगला
जा रहा है

कैसे समझाये
गुरुआइन को गुरु

उसे पता है
आज शाम
पूर्णिमा को
ग्रहण लगने
जा रहा है

इतिहास का
पहला वाकया है

चाँद भी
पीले से
लाल होकर
अपना क्रोध

कलियुगी
गुरु के
साथ पूर्णिमा
को जोड़ने
की बात पर
दिखा रहा है

थूक
देना चाहिये
गुरुआइन ने भी
आज अपना क्रोध

सुनकर

गुरु की
पूर्णिमा को
आज ग्रहण
लगने जा रहा है।

चित्र साभार: www.istockphoto.com