एक
ठहरा हुआ
पानी होता है
समुद्र का होता है
एक
टेडपोल
सतह पर
अपने आप को
व्हैल समझने लगे
ऐसा भी होता है
समय
बलिहारी होता है
उसके जैसे
बाकी टैडपोल
उसके लिये
कीड़े हो जाते हैं
क्योंकि
वो नापना
शुरु कर देता है
लम्बाई पूँछ की
भूल
जाता है
बनना सारे
टेडपोलों को
एक दिन मैंढक
ही होता है
टर्राने के लिये
टर्र टर्र
पर
टेडपोल मुँह
नहीं लगाता है
किसी भी
टेडपोल को
बहुत
इतराता है
तैरना
भी चाहता है
तो कहीं अलग
किसी कोने में
भूल
जाता है
किसी दिन जब
सारे टैडपोल
मैंढक हो जायेंगे
कौन बड़ा
हो जायेगा
कौन ज्यादा
बड़ी आवाज
से टर्रायेगा
उस समय
किसका
टर्राना
समुद्र के
नमकीन पानी में
बस डूब जायेगा
कौन सुनेगा
बहुत ध्यान से
टर्राना
और
किसका सुनेगा
कैसा
महसूस
होगा उसे
जब पुराने
उसी के किसी
टेड़ी पूँछ वाले
साथी की पूँछ से
दबा हुआ उसे
नजर आयेगा
टर्राने का इनाम
इसी लिये
कहा जाता है
समय के साथ
जरूरी है औकात
बोध कर लेना
समय
कर दे
अगर शुरु
टर्राना
उस समय
टेढ़ी पूँछ
को मुँह
ना लगाना
गजब
कर जायेगा
गीता पढ़ो
रामायण पढ़ो
राम नाम जपो
राधे कृष्ण करो
कुछ भी काम
में नहीं आयेगा
समय
खोल देता है
आँखे ही नहीं
आत्मा को भी ‘उलूक’
समझ
सकता है
अभी भी
समझ ले
अपने
कम से कम
चार साथियों को
नहीं तो
अर्थी उठाने
वाला भी तेरी कोई
दूर दूर तक नजर
नहीं आयेगा ।
चित्र साभार: www.frog-life-cycle.com
ठहरा हुआ
पानी होता है
समुद्र का होता है
एक
टेडपोल
सतह पर
अपने आप को
व्हैल समझने लगे
ऐसा भी होता है
समय
बलिहारी होता है
उसके जैसे
बाकी टैडपोल
उसके लिये
कीड़े हो जाते हैं
क्योंकि
वो नापना
शुरु कर देता है
लम्बाई पूँछ की
भूल
जाता है
बनना सारे
टेडपोलों को
एक दिन मैंढक
ही होता है
टर्राने के लिये
टर्र टर्र
पर
टेडपोल मुँह
नहीं लगाता है
किसी भी
टेडपोल को
बहुत
इतराता है
तैरना
भी चाहता है
तो कहीं अलग
किसी कोने में
भूल
जाता है
किसी दिन जब
सारे टैडपोल
मैंढक हो जायेंगे
कौन बड़ा
हो जायेगा
कौन ज्यादा
बड़ी आवाज
से टर्रायेगा
उस समय
किसका
टर्राना
समुद्र के
नमकीन पानी में
बस डूब जायेगा
कौन सुनेगा
बहुत ध्यान से
टर्राना
और
किसका सुनेगा
कैसा
महसूस
होगा उसे
जब पुराने
उसी के किसी
टेड़ी पूँछ वाले
साथी की पूँछ से
दबा हुआ उसे
नजर आयेगा
टर्राने का इनाम
इसी लिये
कहा जाता है
समय के साथ
जरूरी है औकात
बोध कर लेना
समय
कर दे
अगर शुरु
टर्राना
उस समय
टेढ़ी पूँछ
को मुँह
ना लगाना
गजब
कर जायेगा
गीता पढ़ो
रामायण पढ़ो
राम नाम जपो
राधे कृष्ण करो
कुछ भी काम
में नहीं आयेगा
समय
खोल देता है
आँखे ही नहीं
आत्मा को भी ‘उलूक’
समझ
सकता है
अभी भी
समझ ले
अपने
कम से कम
चार साथियों को
नहीं तो
अर्थी उठाने
वाला भी तेरी कोई
दूर दूर तक नजर
नहीं आयेगा ।
चित्र साभार: www.frog-life-cycle.com