उलूक टाइम्स: ड्यूटी
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गुरुवार, 8 मई 2014

इतने में ही क्यों पगला रहा है जमूरे हिम्मत कर वो आ रहा है जमूरे

अरे जमूरे सुन
हुकुम मालिक
आ गया
बजा के ड्यूटी
बजा ली मालिक
कहाँ बजाई
बहुत बड़े मालिक की
बजाई मालिक
नहीं बजाता
तो मेरी बजा देता मालिक
खेल कैसा रहा जमूरे
बढ़िया रहा मालिक
मशीन के तो
मौज ही मौज थे मालिक
बाकी जैसे पिटी हुई
फौज के कुछ
फौजी थे मालिक
कोई किसी को
कुछ नहीं बता
रहा था मालिक
काम अपने आप
हो जा रहा था मालिक
रहने सहने की
कौन कहे मालिक
डर के मारे वैसे ही
नींद में सो
जा रहा था मालिक
कोई डंडा बंदूक से
नहीं डरा रहा था मालिक
अपने आप दिशा
जाने का मन
हो जा रहा था मालिक
मशीन भगवान जैसी
नजर आ रही थी मालिक
अपने आप ही
हनुमान चालिसा
पढ़ी जा रही थी मालिक
बस एक बेचारा
तीस साल का जमूरा
हार्ट अटैक से
मारा गया मालिक
तीन महीन पहिले ही
डोली से उतारा
गया था मालिक
कोई बात नहीं मालिक
एक नेता बनाने के लिये
एक ही शहीद हुआ मालिक
काम नहीं रुका
ऐसे में भी
जो जैसा होना था
उसी तरह से हुआ मालिक
तुरंत हैलीकाप्टर से
शरीर को उसके घर
तक पहुँचा
दिया गया मालिक
दुल्हन को भी
बीमे की रकम का
झुनझुना दिखा
दिया गया मालिक
नेता जी की वाह वाह को
अखबार में छपवा
दिया गया मालिक
बस एक बात
समझ में नहीं
कुछ आई मालिक
मजबूत सरकार
ही नहीं अभी तक
आई है मालिक
फिर सारा काम
कौन सी सरकार
निपटवाई है मालिक
जूता किसी ने
किसी को नहीं
दिखाया मालिक
भाग्य भाग्यहीनो का
गिने चुने किस्मत
वालो के लिये
डब्बे में बंद
फिर भी
करवाया मालिक
खर्चा पानी बिल सिल
कहीं भी नहीं
दिखाया मालिक
सारा काम हो गया
पता भी नहीं
किसी को चला मालिक
आप मालिक हो
थोड़ा हमें भी
समझा दिया करो मालिक
चुनाव आयोग को ही
लोकसभा विधानसभा में
बैठा लिया करो मालिक
हर पाँच साल बाद
होने वाले तमाशे से
छुटकारा दिलवा
दिया करो मालिक
जमूरे
जी मालिक
बहुत बड़बड़ा रहा है
चुनाव का असर
दिमाग में पड़ गया है
जैसा ही कुछ
समझ में आ रहा है
दो चार दिन बस
और रुक जा
परीक्षाफल आने
ही जा रहा है
उसके बाद सब
ठीक हो जायेगा
धंधा शुरु होने के
बाद कौन किसे
पूछने को आ रहा है
तू और मैं
फिर से शुरु हो जायेंगे
कटोरा भीख माँगने
का कहीं नहीं जा रहा है ।

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

तुम भी सरकार के चुनाव भी सरकार का हमें मत समझाइये

लोक सभा निर्वाचन
के सफल संचालन
हेतु जिला निर्वाचन
अधिकारी ने आदेश
निकाल कर एक
स्वायत्तशाशी संस्था
के कुछ चुने हुऐ
लोगों की चुनाव में
पहली बार ड्यूटी
जो क्या लगाई
ड्यूटी कटवाने के
जुगाड़ लगाने की
होड़ सी लोगों के
बीच तुरंत मच आई
एक दौड़ा बताने
वो एक बड़े दल का
फलाँ फलाँ पदाधिकारी है
संस्था में ही उसे
काम में लगाने की
इधर भी और उधर
भी मारा मारी है
अब यहाँ चुनाव में भी
आप की क्यों गई
मति मारी है
चुनाव करवायेंगे
या प्रचार हमसे
इतनी सी बात
आपके समझ में
पता नहीं क्यों
नहीं आ रही है
हमें चुनाव में
लगा कर क्यों
परेशानी मोल
लेना चाह रहे हैं
जो काम करते हैं
और संस्था के
चुनावों से भी
दूर रहा करते हैं
ऐसे निर्दलीय
लोगों पर आपकी
नजर क्यों नहीं
जा रही है
वैसे भी चुनावों में
सरकारी लोगों की
ड्यूटी ही आज तक
लगाई जाती है
देश का चुनाव भी है
तो हमारी कोई
जिम्मेदारी थोड़ी
हो जाती है
जो लोग चुनाव
लड़ने की कोचिंग
चलाया करते हैं
जवानों को चुनाव में
भाग लेने देने का
पाठ साल भर
पढ़ाया करते हैं
पुलिस की लोकल
इंटेलिजेंस यूनिट
वाले ऐसा हो ही
नहीं सकता कि
ये सारी बातें
आप तक नहीं
पहुँचाया करते हैं
ऐसे लोगों से
चुनाव में भाग लेने
वालों के साथ ही
ड्यूटी निभाने की
जिम्मेदारी छीन
कर ना रुलाइये
लाल पीली नीली
बत्तियों के भविष्य
को किसी के इस
तरह दाँव पर
ना लगाइये 

उलूक तैयार है 
करने को ड्यूटी
उस पर और उसके
जैसे और कई लोगों
पर दाँव लगाइये
ऊपर कहीं से आपको
मजबूर करवाने
के लिये हमे
मजबूर मत करवाइये
चुनाव और देश भक्ति
पर कहीं भाषण
करवाना हो तो
जरूर एक मौका
हमें दिलवाइये।