आओ
खत लिखें
जमाना हो गया
पोस्टमैन को देखे
आओ
कुछ
खत लिखें
जमाना हो गया
पोस्टमैन को देखे
आओ
कुछ
कोशिश करें
देखने की भी
आओ
कुछ देखें
तू
मुझ को लिख
मैं
तुझे लिखूँ
शब्द
वाक्य
सब रहने दें
कुछ
रेखायें
ही खींचें
कौन लिखेगा
किसको लिखेगा
कौन किसका
लिखा खत
किसके लिये
पढ़ देगा
ये सब छोड़े
बस
ज्यादा नहीं
कुछ थोड़ा सा
घड़ी की
सूईं को मोढ़ें
बस बातें
करने की
आदत को
कुछ झिंझोड़े
कलम उठायें
स्याही लायें
सफेद
पन्ने पर कुछ
आढ़ी तिरछी
रेखायें खुदवायें
आओ
अपने आप
खुद से
बातें करना
कुछ देर
के लिये छोड़ें
आओ
खत पढ़ने को जायें
बिना
निशान लगाये
दरवाजों को भी
कभी कभी
खटखटायें
इन्तजार
सब करते हैं
आओ
पोस्टमैन
ही सही
किसी के
लिये हो जायें
बधें नहीं
गिरोहों के संग
स्वछंद झण्डा
खुद का लहरायें
खत लिखें
पोस्टमैंन को
ही सही
किसी दिन
उसके लिये भी
घर की डाक
घर पर
ही भिजवायें
आओ कभी
‘उलूक’ को
आईना दिखलायें
किसी क्षण
कुछ अलग
करके दिखायें
जो
रोज करते हैं
जीवन में
उसके निशान
लिखे लिखाये
के पीछे कहीं
ना छोड़ कर
चले जायें
आओ
कुछ खत लिखें
कुछ अलग से
तेरे मेरे अपने
सबके छोड़
किसी और
के लिये कुछ
नये रास्ते
खोल कर आयें ।
चित्र साभार: activerain.com
देखने की भी
आओ
कुछ देखें
तू
मुझ को लिख
मैं
तुझे लिखूँ
शब्द
वाक्य
सब रहने दें
कुछ
रेखायें
ही खींचें
कौन लिखेगा
किसको लिखेगा
कौन किसका
लिखा खत
किसके लिये
पढ़ देगा
ये सब छोड़े
बस
ज्यादा नहीं
कुछ थोड़ा सा
घड़ी की
सूईं को मोढ़ें
बस बातें
करने की
आदत को
कुछ झिंझोड़े
कलम उठायें
स्याही लायें
सफेद
पन्ने पर कुछ
आढ़ी तिरछी
रेखायें खुदवायें
आओ
अपने आप
खुद से
बातें करना
कुछ देर
के लिये छोड़ें
आओ
खत पढ़ने को जायें
बिना
निशान लगाये
दरवाजों को भी
कभी कभी
खटखटायें
इन्तजार
सब करते हैं
आओ
पोस्टमैन
ही सही
किसी के
लिये हो जायें
बधें नहीं
गिरोहों के संग
स्वछंद झण्डा
खुद का लहरायें
खत लिखें
पोस्टमैंन को
ही सही
किसी दिन
उसके लिये भी
घर की डाक
घर पर
ही भिजवायें
आओ कभी
‘उलूक’ को
आईना दिखलायें
किसी क्षण
कुछ अलग
करके दिखायें
जो
रोज करते हैं
जीवन में
उसके निशान
लिखे लिखाये
के पीछे कहीं
ना छोड़ कर
चले जायें
आओ
कुछ खत लिखें
कुछ अलग से
तेरे मेरे अपने
सबके छोड़
किसी और
के लिये कुछ
नये रास्ते
खोल कर आयें ।
चित्र साभार: activerain.com