महीने की
अंतिम साँस लेने की
आवाजें आनी शुरु होती ही हैं
अंतिम साँस लेने की
आवाजें आनी शुरु होती ही हैं
अंतिम सप्ताह के अंतिम दिनों में
और मरता भी है महीना
अठाईस से तीस नहीं भी तो
पक्का सौ प्रतिशत इक्तीस दिनों में
लिखने वाले कई होते हैं
रसोई के
खाली होते जा रहे डिब्बों पर
ध्यान नहीं देते हैं
खाली होते जा रहे डिब्बों पर
ध्यान नहीं देते हैं
भूख मर भी जाती है
खाली बीड़ी के बंडल के खोल रह जाते हैं
बीड़ी
धुआँ हो कर हवा में उड़ जाती है
बंडल की राख
खाली चाय के टूटे कपों की
तलहटी में चिपक जाती है
जितनी बढ़ती है बैचेनी
उतनी कलम पागल होना शुरु हो जाती है
कलम का पागल हो जाना
सबको नजर भी नहीं आता है
ऐसे ऐरे गैरे लिखने वालों के बीच
पागलों का डाक्टर भी नहीं जाता है
एक नहीं कई कई हैं
गली गली में हैं
मुहल्ले मुहल्ले में जिनके हल्ले हैं
अच्छा है
चिट्ठों के बारे में
उनको कोई नहीं बताता है
‘उलूक’
परेशान मत हो लगा रह
किसी को पता नहीं है
तू यहाँ रोज आता है रोज जाता है
तू यहाँ रोज आता है रोज जाता है
चिट्ठागिरी है
कोई शेयर बाजार नहीं है
लिखने लिखाने का भाव
ना चढ़ता है ना ही कोई उतार पाता है
इधर
राशन खत्म होता है हर महीने
महीना पूरा होने से कुछ दिन पहले ही हमेशा
उधर लिखने वालों के बाजार में
एक शब्द के साथ कई शब्दों को
मुफ्त में दिया जाता है
चिट्ठागिरी है
कोई दादागिरी नहीं है
ज्यादा पता भी नहीं है अभी लोगों को
तब तक
जब तक यहाँ भी
निविदाओं को आमंत्रित नहीं किया जाता है ।
चित्र साभार: juiceteam.wordpress.com