कभी किसी दिन
चेहरे लिखता तो कहीं कुछ दिखता
चेहरे लिखता तो कहीं कुछ दिखता
बिना चेहरे के लिखा भी क्या लिखा
गर्दन से कटा
बचा कुचा
बाकी शरीर के नीचे का बेकार सा हिस्सा
चेहरा लिखने का मतलब
चेहरा और बस चेहरा
आईने में देखी हुई शक्ल नहीं
छोटे कान नहीं ना ही बहुत लम्बी नाक
ना पतली गर्दन ना काली आँख
ना वैसा ना वैसे जैसा कुछ
कुछ नहीं तो पैमाना लिखता
कहीं
नपता पैमाना सुनता
मदहोश होता
कुछ कभी
कहीं किसी के लिये
कहीं किसी के लिये
क्या पता अगर मयखाना लिखता
लिखना और नहीं लिखना
बारीक सी रेखा
बीच में लिखने वालों और नहीं लिखने वालों
के बीच की
लिखे के बीच में से
झाँकना शुरु होता हुआ चेहरा लिखता
चेहरे के दिखते
पीछे का धुँधलाना शुरु होता
लिखा और लिखाया दिखता
लिखा और लिखाया दिखता
अच्छा होता
पहाड़ी नदी से उठता हुआ सुबह सवेरे का कोहरा लिखता
स्याही से शब्द लिखते लिखते छोड़ देता लकीर
उसके ऊपर लिख कर देखता चेहरे बस चेहरे
चेहरे पर चेहरे लिखता
चेहरे पर चेहरे लिखता
देखता
लिखा हुआ किसे दिखता और किसे नहीं दिखता ।