लगती है चिढ़
हो जाती है चिढ़
हंसी में भी
साफ साफ नजर
आती जाती
दिख जाती है चिढ़
बहुत सारे गुल
खिलाती है चिढ़
कोई क्या करे
लग रही है
समझ में भी
आती है चिढ़
बहुत लगती है
खुद को भी
चिढ़ाती है
बहुत चिढ़ाती
है चिढ़
फेवीकौल
नहीं होती है
फिर भी चिपक
जाती है चिढ़
कई कई बार
लग जाती है चिढ़
बहुत जोर की
लगती है
बता कर नहीं
आती है चिढ़
घरवालों से
हो जाती है चिढ़
घरवाली भी
दिखलाती है चिढ़
रिश्तेदारों से
हो जाती है चिढ़
पड़ोसी को
पड़ोसन से
करवाती है चिढ़
दोस्तों के बीच में भी
घुस आती है चिढ़
नौकरी में
सतरंगी रंग
दिखाती है चिढ़
कहाँ नहीं जाती है चिढ़
यहां तक की
फोटो में भी
आ जाती है चिढ़
पेंट का रंग
बन जाती है चिढ़
जीन्स की लम्बाई
कराती है चिढ़
साड़ी की कीमत
सुनाती है चिढ़
किस किस से
नहीं हो जाती है चिढ़
कई तरीकों से
घुस जाती है चिढ़
हर एक की
एक अलग
हो जाती है चिढ़
सबको ही
कभी तो
लग ही
जाती है चिढ़
कब कैसे किस को
कहाँ लग जाती चिढ़
छोटी सी बात पर
उठ जाती है चिढ़
पहले से नहीं
रहती है कहीं
बता कर भी
नहीं आती जाती है चिढ़
क्या आप को
अपना कुछ पता
बताती है चिढ़
चिढ़ थी चिढ़ है
और रहेगी भी चिढ़
समझते समझते
आग में डाले
घीं की तरह से
और भी भड़क
जाती है चिढ़ ।
हो जाती है चिढ़
हंसी में भी
साफ साफ नजर
आती जाती
दिख जाती है चिढ़
बहुत सारे गुल
खिलाती है चिढ़
कोई क्या करे
लग रही है
समझ में भी
आती है चिढ़
बहुत लगती है
खुद को भी
चिढ़ाती है
बहुत चिढ़ाती
है चिढ़
फेवीकौल
नहीं होती है
फिर भी चिपक
जाती है चिढ़
कई कई बार
लग जाती है चिढ़
बहुत जोर की
लगती है
बता कर नहीं
आती है चिढ़
घरवालों से
हो जाती है चिढ़
घरवाली भी
दिखलाती है चिढ़
रिश्तेदारों से
हो जाती है चिढ़
पड़ोसी को
पड़ोसन से
करवाती है चिढ़
दोस्तों के बीच में भी
घुस आती है चिढ़
नौकरी में
सतरंगी रंग
दिखाती है चिढ़
कहाँ नहीं जाती है चिढ़
यहां तक की
फोटो में भी
आ जाती है चिढ़
पेंट का रंग
बन जाती है चिढ़
जीन्स की लम्बाई
कराती है चिढ़
साड़ी की कीमत
सुनाती है चिढ़
किस किस से
नहीं हो जाती है चिढ़
कई तरीकों से
घुस जाती है चिढ़
हर एक की
एक अलग
हो जाती है चिढ़
सबको ही
कभी तो
लग ही
जाती है चिढ़
कब कैसे किस को
कहाँ लग जाती चिढ़
छोटी सी बात पर
उठ जाती है चिढ़
पहले से नहीं
रहती है कहीं
बता कर भी
नहीं आती जाती है चिढ़
क्या आप को
अपना कुछ पता
बताती है चिढ़
चिढ़ थी चिढ़ है
और रहेगी भी चिढ़
समझते समझते
आग में डाले
घीं की तरह से
और भी भड़क
जाती है चिढ़ ।