उलूक टाइम्स: पंडाल
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शनिवार, 14 नवंबर 2020

बकवासी ‘उलूक’ फिर से निकली है धूप अँधेरे से निकल दीवाली दिन में सही कुछ नया कर ही डाल

 


चल
कुछ तो निकाल

बहुत दिन हो गये
अब
कुछ भी सही
आज
फिर से लिख डाल 

आदत
रोज बकने की ना दबा

कब्र खोद
हड्डियाँ शब्दों की सही
मरी ही निकाल 

फटी
जेब ले खंगाल

बड़े नोटों को दे
श्रद्धाँजलि
चिल्लर ही सही
तबीयत से उछाल 

सम्भाल दे
ना अनकही
कूड़ा कूड़ा हो कमाल

सड़े को
फिर ना सड़ा
मसाला कुछ मिला

अचार ही सही
कुछ तो बना डाल 

जन्मदिन
बापू चाचा ताऊ

बहुत हो गये
नया शगूफा निकाल

दिवाली मना
पठाके ही नहीं 
सब कुछ जला डाल

कहाँ है कॉरोना
किस बात का है रोना

मुँह खोल हाथ मिला
गले मिल प्यार जता

किस बात की
नाराजगी
भीड़ जुलूस ही सही
पहन सर ही पर रुमाल

उल्लुओं की कथायें
उल्लू की जुबानी

पंडाल
एक लगा
बातें बना कर उड़ा
कुछ दावतें ही दे डाल 

बहुत
हो चुकी सच्चाई 
झूठ के पैर दिखा डाल

डट ले
गद्दी सम्भाल
बहुत दिन रह लिया चुप
चल
बड़ी जीभ निकाल
 
रोज का रोज ना कही
हफ्ते पंद्रह दिन
ही सही
कुछ तो कर बबाल

चल
कुछ तो निकाल
बहुत दिन हो गये
अब

कुछ भी सही
‘उलूक’
आज फिर से
कुछ तो लिख डाल ।

चित्र साभार: https://pooh.fandom.com/