पप्पू
की
दुकान में
की
दुकान में
अब
कोई नहीं आता
कोई नहीं आता
पिछली
सरकार से
पप्पू
का था
कुछ नाता
का था
कुछ नाता
पप्पू
पाँच साल
तक रहा
पुराना राशन
बिकवाता
बिकवाता
सभी
संभ्रांत लोगों
को
पप्पू
था बहुत ही भाता
था बहुत ही भाता
ज्यादातर
लोगों
का
पप्पू
की दुकान तक
की दुकान तक
इसीलिये
दिनभर में
एक
चक्कर तो था
चक्कर तो था
लग ही जाता
पप्पू
का
दीदार एकबार
होना ही
खाना पचा पाता
खाना पचा पाता
जब से
सरकार बदली है
अपने
कर्मों से
अभी तक
कर्मों से
अभी तक
भी
नहीं वो संभली है
नहीं वो संभली है
पता नहीं
चल पा रहा
ऊँट
किस करवट
किस करवट
बैठने को है
जाता
जाता
कौन सा
दुकानदार
अबकी बार
सरकार में
सरकार में
है
कुछ पैठ बनाता
कुछ पैठ बनाता
बुद्धिजीवी
शाँत हो गया
कुछ नहीं है
वो बताता
वो बताता
पप्पू
भी
अब दुकान में
बहुत कम ही है
जाता
जाता
पप्पू की
दुकान में
अब
कोई नहीं आता।
कोई नहीं आता।